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सुलभ शौचालय के संस्थापक डॉ बिंदेश्वरी पाठक का हद्धय गति रुकने से निधन

नई दिल्ली – सुलभ स्वच्छता, सामाजिक सुधार और मानवाधिकार आंदोलन के संस्थापक डॉ विन्देश्वर पाठक नहीं रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में हद्धय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया नई दिल्ली के पालम डाबरी रोड़ स्थित सुलभ परिसर में स्वतंत्रता दिवस समारोह के बीच में बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया भारत में 1970 ई. में सार्वजनिक शौचालय के प्रवर्तक बिंदेश्वर पाठक को भारत के टोयलेट मैन के तौर पर जाना जाता है उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन से वर्षों पहले शौचालय को सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाया था पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित पाठक की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया ने माना और उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था पाठक ने एक बार चर्चा में बताया था कि उनके ससूर महसूस करते थे कि उन्होंने अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी क्योंकि वह नहीं बता सकते थे कि उनका दामाद जीवनयापन के लिए क्या करता है पाठक का मंगलवार पन्द्रह अगस्त को ध्वजा रोहण के तुरंत बाद हद्धय गति रुकने से निधन हो गया उनका जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में हुआ था और परिवार में पत्नी,दो बेटियां,एक बेटा और भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं
सुलभ कई प्रशिक्षण संस्थान भी चला रहा है सुलभ कई व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान भी चला रहा है यहां सफाई कर्मियों, उनके बच्चों और कमजोर वर्गों के व्यक्तियों को मुफ्त कम्प्यूटर टाइपिंग और शार्ट हैंड, विधुत व्यापार, काष्ठ कला, चमड़ा शिल्प डीजल और पेट्रोल इंजीनियरिंग विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाता है
विंदेश्वरी पाठक को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया पद्मभूषण पुरस्कार को एनर्जी ग्लोब अवॉर्ड, दुबई इंटरनेशनल अवॉर्ड,स्टोक होगी वाटर प्राइज, फ्रांस की सीनेट से लोजेड आफ प्लैसेट अवार्ड सहित अन्य कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया था