झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

क्षमा शोभती उस भुजंग कोजिसके पास गरल हो,उसको क्या जो दंतहीनविषरहित विनीत सरल हो।”

“क्षमा शोभती उस भुजंग कोजिसके पास गरल हो,उसको क्या जो दंतहीनविषरहित विनीत सरल हो।”

पिछले कई दिनों से आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ़ अस्पताल प्रकरण पर स्थानीय प्रशासन, सरकार और डॉ.ओ पी आनंद के बीच बयानों के आदान प्रदान और गतिरोध की खबरें पढ़ रहा हूँ। और अब इस कोरोनाकाल में एक डॉक्टर की गिरफ़्तारी और एक और अस्पताल को बंद करने का तमग़ा भी स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को मिल चुका है।
अगर चंद प्राईवेट अस्पतालों में ग़रीबों का दोहन हुआ है तो निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए लेकिन इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं कि कोविड काल में जाँच के नाम पर अस्पताल प्रबंधन को लगातार परेशान किया जाए और आम जनमानस के बीच यह पूरी कार्यवाही विभागीय उगाही की प्रक्रिया के रूप में जानी जाने लगे। मैं व्यक्तिगत रूप से यह अनुरोध करता हूँ कि इस मामले को अब विराम देना चाहिए। बन्ना गुप्ता आपसे अनुरोध है कि दरियादिली दिखायें और स्वयं आगे बढ़कर इस मामले का पटाक्षेप कराने का निर्देश दें। खासकर जब खुद आपके कार्यालय इंचार्ज पर नियम को ताक पर रखकर अपने लोगों के जबरन टीकाकरण करवाने का आरोप लग चुका है और उसमें कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है।ऐसा कोई काम नहीं हो कि साफ साफ सत्ता की धौंस दिखे, एक के लिए कानून कुछ और दूसरे के लिए कुछ नज़र आए। खासकर जब बतौर स्वास्थ्य मंत्री आप तमाम कोशिशों के वावजूद एमजीएम समेत तमाम सरकारी अस्पतालों की कुव्यवस्था को नहीं बदल सके हैं तो ऐसे में एकतरफा प्राईवेट और वह भी चुनिंदा प्राईवेट अस्पतालों पर कार्रवाई कई सवाल खड़े करती है।रांची में नियमों की धज्जियां उड़ा रहे और ग़रीबों को खुले आम लूट रहे अस्पतालों पर चुप्पी और यहाँ तक कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों को रेमडेसिविर समेत अन्य आवश्यक सप्लाई में सरकारी प्राधान्य मिलने की बात सर्वविदित है। पर यहाँ जमशेदपुर में एक अस्पताल पर इतनी बड़ी कार्रवाई और वह भी तब जब डॉ आनंद ने माफी मांग ली, किसी को पच नहीं रहा है।डॉ आनंद ने गाली से पहले एक अहम मुद्दा उठाया है कि एक मंत्री और विधायक के लिए करोड़ों खर्च होते हैं और आम जनता के लिए सरकार 6000 रू प्रति दिन का रेट तय करती है, सरकार जनता को वैसी सुविधा क्यों नहीं देती।आखिर किन परिस्थितियों में और कहां से नर्सिंग होम या डॉक्टर एक इंजेक्शन 5600 रू
में खरीद रहे हैं और उधर एक दिन के बेड का रेट 6000 रू तय हो जाता है, इस पर भी पारदर्शिता के साथ चर्चा होनी चाहिए
जबरन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी विभिन्न थानों में कोरोना योद्धा चिकित्सक के विरुद्ध शिकायत दर्ज़ कराने से परहेज़ करना चाहिए। यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। हमारे राज्य में स्वास्थ्य संसाधनों का अभाव सर्वविदित है। ऐसे में सीमित संसाधनों के बीच कोरोना से जंग जीतनी है।
111सेव लाइफ़ अस्पताल ने यदि सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक वसूला है तो प्रबंधन को स्वतः इसकी समीक्षा करते हुए जरूरी सुधार करनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री एवं प्रशासन के विरुद्ध एक भावनात्मक आवेश में आकर उन्होंने ग़लत शब्दों का चयन किया यह मैं स्वीकार करता हूँ। इसे लेकर डॉ. आनंद पहले ही माफ़ी माँग चुके हैं। पुनः एकबार और माफ़ी लेंगे लेकिन बड़े भाई और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना जी से मेरा व्यक्तिगत आग्रह होगा कि स्वयं पहल करें और उस प्रकरण का पटाक्षेप करें। डॉक्टर की एक गलती उनके पूर्व के योगदानों को शून्य नहीं करे, इसकी चिंता सरकार को भी करनी चाहिए। पिछले एक वर्ष में कोरोना संक्रमण के बीच 111 सेव लाइफ अस्पताल ने उल्लेखनीय योगदान दिया है, इसे भी याद रखने की जरूरत है। एक कोरोना योद्धा को यूँ प्रताड़ित करने से सरकार की साख पर भी असर होगा और जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी। उम्मीद है कि इस दिशा में पहल होगी। आग्रह होगा कि इस प्रकरण को विराम दिया जाए और इसके पटाक्षेप के लिए जो क़ानूनी पहल की आवश्यकता है वह पहल अविलंब शुरू हो।
इधर कोरोना काल में लगातार पत्रकार बंधुओं के खिलाफ विभिन्न जिलों में झूठे केस दायर करने की सूचनाएं मिल रही हैं।कईयों को जेल भी भेजा गया है और कईयों को प्रताड़ित किया जा रहा है।कल ही वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण बिहारी मिश्र को रांची के कोतवाली थाने में महज इसलिए बुलाकर हड़काया गया क्योंकि उन्होंने रेमडिसिविर के मामलों को लेकर झारखंड पुलिस की भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए अपनी रिपोर्ट लिखी थी। जबकि यही सवाल हाई कोर्ट भी उठा चुका है। यह एक गलत परंपरा की शुरूआत है जिसके तहत कोरोना योद्धाओं को प्रताड़ित किया जा रहा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वह स्वयं संज्ञान लेकर सुनिश्चित करें कि इस तरह के कृत्य की पुनरावृत्ति नहीं हो।*

*दिनेश कुमार मिडिया के माध्यम से खबर मिली है कि झारखंड सरकार ने छह साल पुराने राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में नयी धाराएं जोड़ कर मुझे भी इसमें शामिल करने का प्रयास कर रही है। अगर ऐसा है तो इस निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। पिछले लगभग चार साल से मामले की जाँच चल रही है लेकिन मामले में कुछ नहीं मिल पाया, तो मामले को जीवित रखने के लिए सरकार के इशारे पर कुछ काबिल अधिकारियों ने इसमें नयी धाराएं जोड़ने का प्रयास शुरू किया हैं। झारखंड में पहली बार विद्वेष और बदले की राजनीति की शुरुआत हो रही है। लेकिन किसी को यह भूलना नहीं चाहिए कि यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है। दरअसल यह 2024 की तैयारी है। मुख्यमंत्री चुनाव तक यह मामला खींचना चाहते हैं। जो अधिकारी यह सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटारमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है। सभी की जिम्मेदारी तय की जायेगी। गलत करके बचने की उम्मीद छोड़ दें। मेरा सरकार और उनके काबिल अधिकारियों से यह आग्रह है कि कानून की किताब से और जितनी तरह की धाराएं इस मामले में जोड़ी जा सकती हैं, उसे जोड़ कर लगा लें, मैं डरनेवाले लोगों में नहीं हूं। मेरा जीवन खुली किताब है, जो चाहे इसे पढ़ सकता है।-रघुवर दास पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड।*

*वैक्सीन की बर्बादी पर बिफ़री भाजपा ने झारखंड सरकार को घेरा, कुणाल षाड़ंगी ने कहा-‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा’*

एक तरफ जहां कोरोनो के खिलाफ जंग में कई राज्य केंद्र सरकार से वैक्सीन की सप्लाई बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे राज्य भी हैं जो कुल वैक्सीन का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा वह बर्बाद कर चुके हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार सभी राज्यों से अपील कर रहे है कि वैक्सीन की कम से कम बर्बादी करें। इस लिस्ट में सबसे ऊपर झारखंड और छत्तीसगढ़ का नाम है। बता दें कि दोनों ही राज्य लगातार कोरोना वैक्सीन की कमी का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे है। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, झारखंड को सप्लाई हुई कुल वैक्सीन का 37.3 प्रतिशत बर्बाद हुआ है, वहीं छत्तीसगढ़ को सप्लाई की गई वैक्सीन का 30.2 प्रतिशत वैक्सीन की बर्बादी हुई है।
झारखंड में कोरोनारोधी टीका की बर्बादी और सार्थक उपयोग नहीं होने के मामले पर मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य की महागठबंधन सरकार पर एकबार फ़िर हमलावर हुई है। झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और लगातार कोरोना महामारी के बीच जरूरतमंदों के बीच सेवा के माध्यम से झारखंड के सोनू सूद की संज्ञा पा रहे नेता कुणाल षाड़ंगी ने वैक्सीन की बर्बादी पर चिंता ज़ाहिर किया है। कुणाल षाड़ंगी ने अपनी चिंता ने ट्विटर के मार्फ़त व्यक्त किया और झारखंड सरकार को वैक्सीन की बर्बादी के मसले पर आड़े हाथों लिया। इधर लगातार महागठबंधन सरकार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के कोटे से स्वास्थ्य मंत्री वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे हैं और केंद्र सरकार पर झारखंड की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने ट्विटर पर आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए झारखंड सरकार को “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” जैसे मुहावरे से नसीहतें दे डाली। टीकाकरण के दरम्यान वैक्सीन की बर्बादी का राष्ट्रीय औसत 6.3% है तो वहीं वैक्सीन को बर्बाद करने में 37.3% दर के साथ झारखंड अव्वल नंबर पर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े को साझा करते हुए भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इसे घोर चिंताजनक और झारखंड के लिए शर्मनाक बताया। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने नाम नहीं लेते हुए सूबे के आपदा प्रबंधन मंत्री को भी घेरा है। कहा कि प्रबंधन का महत्वपूर्ण गुर है “ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन ऑफ़ रिसोर्सेज” अर्थात सीमित संसाधनों का बेहतर सर्वोच्च इस्तेमाल। आपदा प्रबंधन विभाग एवं झारखंड सरकार कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान में वैक्सीन की बर्बादी रोकने में पूर्णतया नाकाम रही है। अपनी नाकामी छिपाने के लिए सरकार के जिम्मेदार मंत्री केंद्र सरकार के विरुद्ध ‘ब्लेम-गेम’ खेल रहे हैं। झारखंड सरकार आपदा प्रबंधन में पूर्णतया नाकाम रही है। इन्हीं नाकामियों को छिपाने निमित्त केंद्र सरकार के विरुद्ध दोषारोपण और अनर्गल बयानबाजी की जा रही है। भाजपा ने माँग किया कि हेमंत सरकार केंद्र सरकार के स्तर से प्राप्त अबतक की कुल वैक्सीन का रिकॉर्ड आमजनों के मध्य साझा करें।*

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*डॉक्टर ओपी आनंद प्रकरण एवं राँची के पत्रकार केबी मिश्र को प्रताड़ित करने के मामले पर भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी की स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य सरकार को नसीहत, सोशल मीडिया के जरिये आग्रह*