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कोरोना काल में मौत होने पर मोक्ष के लिए भी इंतजार, श्मशान के लॉकर में अस्थि कलशों की बढी संख्या

कोरोना काल में मौत होने पर मोक्ष के लिए भी इंतजार, श्मशान के लॉकर में अस्थि कलशों की बढी संख्या

कोरोना और लॉकडाउन का सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ा है.आलम यह है कि मृत्यु के बाद भी सैकड़ों अस्थि कलश मोक्ष के इंतजार में है.जमशेदपुर में श्मशान घाट के लॉकर में सैकड़ों की संख्या में अस्थि कलश रखे गए हैं. क्योंकि परिजन लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं.
जमशेदपुरः देश में कोरोना काल में अर्थव्यवस्था के साथ आम जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा है. कोरोना महामारी के इस दौर में कई तरह की पाबंदी लगी हुई हैं. जिसकी वजह से जमशेदपुर में संक्रमण काल में मरने वालों का अंतिम संस्कार के बाद अब अस्थि कलश शमशान के लॉकर रूम में रखा गया है. जहां भारी संख्या में अस्थि कलश मोक्ष के इंतजार में है. श्मशान प्रबंधन का कहना है पहली बार इतना अस्थि कलश रखा हुआ है. वहीं पीड़ित परिवार का कहना है लॉकडाउन में छूट मिलेगी तो अस्थि कलश गंगा में विसर्जन करने के लिए लेकर जाएंगे.
जमशेदपुर में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण का असर सबसे ज्यादा देखने को मिला. महामारी के इस काल में भारी संख्या में संक्रमित मरीजों की मौत हुई. श्मशान घाट में चौबीस घंटे में अठारह घंटे तक लगातार शव जलाने का सिलसिला जारी था. हर दिन सौ से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार अलग-अलग श्मशान घाट में किया गया. शव के अंतिम संस्कार के बाद अब अस्थि कलश मोक्ष के इंतजार में है.
जमशेदपुर में तीन श्मशान घाट में प्रमुख जुगसलाई-खरकई नदी किनारे स्थित पार्वती घाट और भुइयांडीह स्वर्णरेखा नदी किनारे स्थित सुवर्णरेखा घाट में शवों का अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें सुवर्णरेखा घाट में कोविड संक्रमित शव का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था थी. शव का अंतिम संस्कार के बाद भारी संख्या में अस्थि कलश को श्मशान घाट में बने अस्थि कलश रूम में सुरक्षित रखा गया है. पार्वती घाट में अस्थि कलश रखने के लिए लॉकर की व्यवस्था है. यहां ज्यादा अस्थि कलश होने के कारण लॉकर ही खाली नहीं है, जिस कारण अस्थियों को अब बाहर रखा गया है.
सुवर्णरेखा घाट में भी भारी संख्या में अस्थियां नंबर सिस्टम के साथ रखी हुई है. अस्थियों की पहचान हो सके इसके लिए लाल कपड़े में लिपटे कलश पर पहचान के लिए एक स्लिप लगाया गया है. जिसमें मृतक का नाम और उनके परिजन का नाम लिखा हुआ है. जिस लॉकर में अस्थि रखा हुआ है, उस लॉकर की चाबी परिजन के पास रहता है. पार्वती घाट में अस्थि कलश को सुरक्षित रखने का शुल्क 50 रुपये है, जो सिर्फ 15 दिनों के लिए है. 15 दिन से ज्यदा होने पर डेट एक्सटेंशन कराया जाता है. पार्वती घाट प्रबंधन बिनोद तिवारी बताते हैं कि पार्वती घाट के इतिहास में पहली बार इतनी संख्या में अस्थि कलश रखा गया है. आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण लोग अस्थि को बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं
सुवर्णरेखा घाट में कोविड से संक्रमित शव का अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश को सुरक्षित रखा गया है. अस्थि कलश रूम के केयर टेकर शशि भूषण ने बताया कि बीस साल से वह यहां काम कर रहे हैं, पर पहली बार ऐसा मंजर देखने को मिला. उन्होंने बताया कि कोविड वाले का अस्थि कलश लेने कम संख्या में लोग आ रहे हैं. हिंदू धर्म में पुरानी परंपरा के अनुसार अस्थियों को पूजा-पाठ और विधि-विधान के साथ पवित्र स्थल में विसर्जित करने की मान्यता है. लेकिन लॉकडाउन में ट्रेन-बस बंद होने से अस्थियां मोक्ष के इंतजार में है.
पंडित संतोष त्रिपाठी बताते हैं कि पुराण-शास्त्रों के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को काशी हरिद्वार, प्रयागराज, गया के अलावा अन्य जगहों पर जाकर अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाती हैं. जिससे जिनकी मृत्यु हुई है, उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके और परिवार में शांति बनी रहे. कोरोना काल में अपनों को खोने के बाद परिवार वाले अस्थियों को मोक्ष के लिए बाहर ले जाने के लिए ट्रेन और बस के खुलने के इंतजार में हैं. श्मशान घाट में अस्थि कलश रखने वाले बताते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुसार दस दिन में अस्थि को गंगा में विसर्जित करना है, जो भी मुश्किल आए उसका सामना करते हुए यह नियम को पूरा करना पड़ता है