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खदान मजदूरों को मैनेजर को बनाया बंधक बकाए मजदूरी की मांग

खदान मजदूरों को मैनेजर को बनाया बंधक बकाए मजदूरी की मांग

 

गढ़वा में खदान मजदूरों ने प्रदर्शन किया है. बोकारो स्टील माइंस भवनाथपुर टाउनशिप के मजदूरों ने बकाए वेतन भुगतान की मांग को लेकर सोमवार को प्रबंधक भगवान प्राणिग्रही को बंधक बना लिया है.

गढ़वाः बोकारो स्टील माइंस भवनाथपुर टाउनशिप के मजदूरों ने बकाए मजदूरी के भुगतान की मांग को लेकर सोमवार को प्रबंधक भगवान प्राणिग्रही को बंधक बना लिया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मैनेजर ने 31 तारीख को बकाए मजदूरी के भुगतान की घोषणा की. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें मुक्त कराया.
गढ़वा में खदान मजदूरों का आंदोलन उग्र होता दिखा. सोमवार को बोकारो स्टील माइंस भवनाथपुर टाउनशिप के खदान मजदूरों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान बकाए मजदूरी के भुगतान को लेकर खदान मजदूरों ने प्रबंधक को बंधक बनाया. इस संबंध में पूछे जाने पर खान प्रबंधक भगवान प्राणीग्रही ने कहा कि प्रबंधन, यूनियन और डिप्टी लेबर कमिश्नर के साथ मीटिंग में तेरह जनवरी को मजदूरों के बकाया भुगतान का निर्णय लिया गया था. लेकिन माइंस से जुड़े सभी मजदूरों के सेटलमेंट भुगतान को लेकर पेंच फंस गया था. इस कारण डिप्टी लेबर कमिश्नर ने मजदूरों का भुगतान नहीं करने की बात कही थी. तय तिथि को मजदूरी भुगतान नहीं होने पर गुस्साए मजदूरों ने सोमवार को माइंस प्रबंधक भगवान प्राणिग्रही को बंधक बना लिया. कुर्सी पर बैठाकर उन्हें चारों ओर से घेर लिया, दो घंटे तक मजदूरों ने उन्हें घेरे रखा. उसके बाद इसकी जानकारी पुलिस को दी गयी. पुलिस के आने के बाद प्रबंधक को मुक्त कराया गया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद प्रबंधक ने 31 जनवरी को इन मजदूरों के बकाया मजदूरी के भुगतान के साथ-साथ माइंस से निबंधित सभी मजदूरों का सेटलमेंट भुगतान करने का भी आश्वासन दिया.
यहां बता दें कि भवनाथपुर टाउनशिप में बोकारो स्टील माइंस स्थित है. यहां के घाघरा माइंस से चूनापत्थर और टाउनशिप माइंस से डोलोमाइट की खुदाई होती थी. लेकिन लीज नवीकरण और पर्यावरण क्लीयरेंस में गड़बड़ी को झारखंड सरकार ने लगभग दो वर्ष पूर्व उत्खनन पर रोक लगा दी, कंपनी पर फाइन भी लगा दिया. इसके बाद उत्खनन का काम बंद हो गया. खदान के अचानक बंद होने से बोकारो स्टील माइंस से निबंधित 730 मजदूर बेरोजगार हो गए. इस दौरान कुछ मजदूर काम कर रहे, जिनकी मजदूरी अभी तक बाकी है. कंपनी इन मजदूरों के मजदूरी भुगतान की घोषणा की तो माइंस से जुड़े मजदूर यूनियनों ने सारे मजदूरों के सेटलमेंट भुगतान की मांग रख दी. इस कारण वास्तव में काम करने वाले मजदूरों का भुगतान लंबित हो गया. जबकि प्रबंधक, यूनियन और कांट्रेक्टर के बीच बैठक में तेरह जनवरी को मजदूरों के बकाए मजदूरी का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था.