झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

कहाँ खो गया भारतवासी?

कहाँ खो गया भारतवासी?
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इस माटी का कण-कण पावन।
नदियाँ, पर्वत लगे सुहावन।
मिहनत करते लोग मिलेंगे, चलता रहता योग यहाँ।
नीति गलत दिल्ली की होती, रोते कितने लोग यहाँ।।

ये पंजाबी, वो बंगाली।
मैं बिहार से, तू मद्रासी।
जात-पात में बँटे हैं ऐसे,
कहाँ खो गया भारतवासी?
हरित धरा और खनिज सम्पदा का अनुपम संयोग यहाँ।
नीति गलत दिल्ली की होती, रोते कितने लोग यहाँ।।

मैं अच्छा हूँ, गलत है दूजा।
मैं आया तो अबके तू जा।
परम्परा कुछ ऐसी यारो,
बुरे लोग की होती पूजा।
ऐसा लगता घर घर फैला, ये संक्रामक रोग यहाँ।
नीति गलत दिल्ली की होती, रोते कितने लोग यहाँ।।

सच्चाई का व्रत-धारण हो।
एक नियम का निर्धारण हो।
अवसर सबको मिले बराबर,
नहीं और फिर आरक्षण हो।
काश! सुमन सब मिल कर पाते, सभी सुखों का भोग यहाँ
नीति गलत दिल्ली की होती, रोते कितने लोग यहाँ।।

श्यामल सुमन