झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जरा सहला दे बूढ़े पेड़ को

जरा सहला दे बूढ़े पेड़ को
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सजाना जिन्दगी को नित, सिखाने कौन आएगा
अगर तालाब ही गन्दा, नहाने कौन आएगा

किसी की बेबसी का फायदा कोई उठा ले तो
यकीं मानो दुबारा उस ठिकाने कौन आएगा

कहीं आँसू हैं रोने के, कहीं हँसते हुए आँसू
अगर आँसू मुकद्दर तो हँसाने कौन आएगा

जरा सहला दे बूढ़े पेड़ को आँगन खड़ा है जो
कहीं सूखा तो बीता कल दिखाने कौन आएगा

समन्दर है बहुत गहरा तेरी आँखों से कम लेकिन
समभ्ल कर के सुमन उतरो बचाने कौन आएगा

श्यामल सुमन