जो विचार से ठूठा होता
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हम अपने जीवन के वाहक,
नयी चेतना के संवाहक।
अनुभव से जिसमें जोड़ें नित,
अगर कहीं कुछ छूटा होता।
हर इन्सान अनूठा होता।।
इस जीवन में सदा आस है,
सब में कुछ तो बात खास है।
सुख दुख पाते कर्मों से हम,
भाग्य कभी न रूठा होता।
हर इन्सान —–
अपनी गलती जिसे न खलती,
खोजें बस दूजे की गलती।
वो समाज की खातिर घातक,
जो विचार से ठूठा होता।
हर इन्सान —–
बिन कोशिश के सुने कौन है,
जिसको सुनना, वही मौन है।
ये समझो कि वो चिल्लाता,
जो अन्दर से टूटा होता।
हर इन्सान —–
समझो मत जो भोगा जीवन,
पुरखों का अनुभव संजीवन।
धन अर्जित है ज्ञान सुमन जो,
नहीं किसी का लूटा होता।
हर इन्सान —–
श्यामल सुमन
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