झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में सिख गुरु तेगबहादुर का चारसौवां प्रकाश पर्व, वेबिनार का किया गया आयोजन

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में सिख गुरु तेगबहादुर का चारसौवां प्रकाश पर्व, वेबिनार का किया गया आयोजन

जमशेदपुर के वीमेंस कॉलेज में नौवें सिख गुरु तेगबहादुर सिंह के चारसौवें प्रकाश पर्व के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. सनातन दीप ने सबद गायन किया. इस मौके पर काॅलेज के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्राओं सहित करीब 670 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया.
जमशेदपुर: वीमेंस कॉलेज में शनिवार को नौवें सिख गुरु तेगबहादुर सिंह के चारसौवें प्रकाश पर्व के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की मुख्य आयोजक केयू की पूर्व कुलपति सह वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर शुक्ला मोहंती ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि गुरु तेगबहादुर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कोई भी सफलता अंतिम नहीं होती और कोई भी विफलता घातक नहीं होती. व्यक्ति की पहचान विपरीत स्थितियों में उसके दिखाये गये साहस से होती है.
कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. सनातन दीप ने ‘प्रीतम जानि लेहो मन मांहि’ सबद का गायन किया. इसका संचालन प्रोफेसर राजेंद्र कुमार जायसवाल और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ श्वेता प्रसाद ने किया. तकनीकी सहयोग के प्रभाकर राव और ज्योति प्रकाश मोहंती ने किया. इस मौके पर काॅलेज के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्राओं सहित करीब 670 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया.
गुरु तेगबहादुर का समय भी विपरीत था और आज भी समय संकट से भरा है. हमारी पहचान हमारे साहस और धैर्य से होगी. उन्होंने जानकारी दी कि एआईसीटीई के निर्देश के आलोक में वीमेंस कॉलेज गुरु तेगबहादुर के जीवन और उनके संदेशों की वर्तमान प्रासंगिकता विषय पर राज्यस्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है. राज्यस्तरीय पुरस्कार के अलावा जिलास्तरीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे. सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागिता वाले संस्थान को पुरस्कृत किया जाएगा. सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाणपत्र निर्गत किया जाएगा. काॅलेज की वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गई है.
उन्होंने बताया कि अब तक वीमेंस कॉलेज के अलावा बाहर से छह सौ से अधिक प्रविष्टियां आ चुकी हैं. उन्होंने सभी छात्राओं को निर्देश दिया कि कोविड काल में खुद और परिजनों को सुरक्षित रखें और इस खास प्रतियोगिता में जरूर हिस्सा लें. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तख्त श्री हरिमंदिरजी पटना साहिब के उपाध्यक्ष और भूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय साइकिलिस्ट सरदार इंदरजीत सिंह ने अपने संबोधन में गुरु तेगबहादुर के जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता वाली तमाम कवायदों के खिलाफ उन्होंने सर्वधर्म समभाव की चेतना जगाई. वे त्याग, सेवा और भक्ति की प्रतिमूर्ति थे. धर्मांतरण को उन्होंने मनुष्यता का विरोधी माना और कश्मीरी पंडित कृपाराम के आग्रह पर मुगल शासक की धर्मनीति का प्रतिवाद किया और शहादत पाई. उनकी कुर्बानी सभी को संघर्ष और संकल्प के साथ मनुष्यता की रक्षा की सीख देती है.
विशिष्ट वक्ता सोनारी गुरूद्वारा के पूर्व अध्यक्ष, बिष्टुपुर के न्यासी गुरुदयाल सिंह ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव ने प्रेम, शांति, भाईचारा, जातिविरोध का दर्शन दिया था, जिसकी प्रेरणा खालसा पंथ और गुरू तेगबहादुर के विचारों में बीज रूप में मौजूद है. गुरु तेगबहादुर ने इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ लोकतांत्रिक धर्म का प्रसार करने के लिए अमृतसर से ढाका तक की पदयात्रा की थी. उनका मानना था कि संसार में कुछ भी स्थिर नहीं है. इसलिए प्रेम और भाईचारे को आत्मसात करना चाहिए. उन्होंने बताया कि अमृतसर में जो स्वर्ण मंदिर है वहां दो निशान साहिब हैं. बड़ा वाला भक्ति का और छोटा वाला शक्ति का प्रतीक है. इस तरह भक्ति को सर्वोच्च मानते हुए शक्ति के साथ संतुलित जीवन दर्शन ही समूचे खालसा पंथ और गुरु तेगबहादुर की मूल चेतना है.
गुरुनानक हाईस्कूल, साकची के शिक्षक कुलविंदर सिंह ने कहा कि भारत सरकार की ओर से गुरु तेगबहादुर के चारसौवें प्रकाश पर्व को पूरे देश में मनाने का निर्णय लेना सराहनीय पहल है. खासतौर से तब जबकि हमारे समय में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यकवाद की समस्या बनी हुई है. कुछ ऐसी ही समस्या गुरु तेगबहादुर जी के समय में भी थी. उन्होंने ‘न डरिये, न डराइये’ की बात कहकर धर्म या दूसरे किसी भी तरह के वर्चस्ववाद का विरोध किया था