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जमशेदपुर में कोरोना मरीजों के शव के अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार, कब्रिस्तान में भी हालात बदतर

जमशेदपुर में कोरोना मरीजों के शव के अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार, कब्रिस्तान में भी हालात बदतर

जमशेदपुर में कोरोना की वजह से हालात भयावह होते जा रहे हैं. श्मशान और कब्रिस्तान में लंबी कतार लगी है. श्मशान में रात तीन बजे तक कोरोना मरीजों के शव का अंतिम संस्कार हो रहा है. कब्रिस्तान में पहले जहां दो से तीन शव दफनाए जाते थे वहीं,अब 7 से 8 शव हर रोज दफनाए जाते हैं.
जमशेदपुर: जिले में कोरोना से मौत का मंजर बेहद भयानक है. एक-दो मौत नहीं है मौतों की कतार है. हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना मरीजों के शव के अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. हर दिन जमशेदपुर में 25 से 30 कोरोना मरीजों की लाश जल रही है. पहले श्मशान में रात 11 बजे तक ही शव जलते थे, लेकिन कोरोना के चलते तेजी से हो रही मौत के कारण रात तीन बजे तक दाह संस्कार हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2020 से 14 अप्रैल 2021 तक सुवर्णरेखा घाट पर 635 मरीजों का अंतिम संस्कार हुआ है. लेकिन, पिछले एक हफ्ते में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है.
जमशेदपुर में सिर्फ सुवर्णरेखा घाट को कोविड मरीजों के शव को जलाने के लिए चिन्हित किया गया है. सुबह 11 बजे से पहले सामान्य मौत वाले शव जलाए जाते हैं. इसके बाद कोविड मरीजों का शव जलना शुरू होता है जो रात तीन बजे तक जलता है. मरीज के परिजन मास्क और पीपीई किट पहनकर इंतजार करते हैं. सुबह 11 बजे के बाद अगर कोई सामान्य मौत होती है तो पार्वती घाट में उसका अंतिम संस्कार किया जा सकता है. जाहिर है सुवर्णरेखा घाट में कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार की वजह से दूसरे श्मशान घाटों पर लंबी कतार लगने लगी है.
श्मशान जैसे हालात कब्रिस्तान में भी है. मुस्लिमों के कब्रिस्तान में हर दिन 7-8 लाश और ईसाइयों के कब्रिस्तान में हर दिन 3 से 4 शव दफनाए जा रहे हैं. पहले लाश आती थी तो गड्ढा खोदा जाता था. अब हालात ऐसे हैं कि पहले से ही गड्ढा खोदकर तैयार रखा जा रहा है. साकची कब्रिस्तान कमेटी के सदस्य परवेज आलम बताते है कि कोरोना काल में संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है. पहले दो से तीन शव ही रोज दफनाए जाते थे. अब कोविड मरीजों के शव को दफनाने के लिए अलग व्यवस्था है. श्मशान के किनारे गड्ढा खोदा जा रहा है जहां कोविड मरीजों के शव को दफनाया जाता है.
परवेज आलम ने बताया कि सामान्य लाश की कब्र में सिर्फ मिट्टी डाला जाता है. शव एक से डेढ़ साल में रिसाइकिल हो जाते हैं. लेकिन, कोविड के शव को दफनाने के बाद बालू और मिट्टी मिलाकर डाला जा रहा है. ऊपर लकड़ी की तख्ती रखकर मिट्टी डाला जा रहा है. शव प्लास्टिक से पैक होने के कारण इसे रिसाइकिल होने में तीन से चार साल का वक्त लगेगा. कब्रिस्तान में बुजुर्गों और बच्चों के आने पर रोक लगा दी गई है
कोविड से मरने वालों के आंकड़े को लेकर जब सर्विलांस पदाधिकारी से पूछा गया तब उन्होंने बताया कि दूसरे जिलों के लोग भी जमशेदपुर में भर्ती हैं. उनकी मौत अगर अस्पताल में हो जाती है तो अंतिम संस्कार भी जमशेदपुर में ही होता है. उनके शव को वापस नहीं भेजा जाता. यही वजह है कि श्मशान घाट और सरकारी आंकड़ों में अंतर है. दूसरे जिलों के कोविड मरीज की मौत के बाद उनका डाटा जिले को दिया जाता है.