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जमशेदपुर में हर साल रेल पटरियों पर होती है एक सौ से ज्यादा मौतें ज्यादातर लोग तनाव में आकर दे देते हैं जान

जमशेदपुर में हर साल रेल पटरियों पर होती है एक सौ से ज्यादा मौतें ज्यादातर लोग तनाव में आकर दे देते हैं जान

जमशेदपुर में हर साल रेल पटरियों पर एक सौ से ज्यादा मौतें होती है. इसमें ज्यादातर लोग तनाव में आकर जान दे देते हैं. कई बार घटना लापरवाही की वजह से भी हो जाती है. इसे रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किये जाते हैं. ज्यादातर लोग सुनसान इलाके में जाकर ट्रेन से कटकर जान दे देते हैं.
जमशेदपुर: देश में हर दिन कई अलग-अलग घटना में लोगों की मौत होती है. कई लोग खुदकुशी भी कर लेते हैं. ऐसी कई घटनाएं सामने आती है जब लोग रेल पटरियों पर अपनी जिंदगी को खामोश कर देते हैं. लोगों को मंजिल तक पहुंचाने वाली ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे देते हैं. इस तरह की घटना रेल पुलिस के लिए चुनौती बन जाती है. रेल पटरी पर खुदकुशी करने की ज्यादातर घटनाएं आबादी वाले इलाके से दूर सुनसान जगह पर होती है. इसके अलावा लापरवाही और रिस्क के कारण भी पटरी पर लोगों की मौत हो जाती है.
लोग.जान जोखिम में डालकर ट्रैक पार करते हैं लोगों के लिए शहरी क्षेत्र में ट्रैक पार करने के लिए क्रॉसिंग प्वाइंट बनाए जाते हैं और जब ट्रेन आने का वक्त होता है क्रॉसिंग गेट बंद कर दिया जाता है जिससे आवागमन नहीं हो सके. ट्रेन के जाने के बाद गेट खोल दिया जाता है. एक्सप्रेस या पैसेंजर ट्रेन को किसी फाटक से गुजरने में एक मिनट से भी कम का वक्त लगता है जबकि माल गाड़ी में ज्यादा कोच होने की वजह से पास होने में दो से ढाई मिनट का वक्त लगता है. अक्सर यह देखने को मिलता है कि जब फाटक बंद हो जाता है तब भी लोग क्रॉसिंग गेट के नीचे झुककर पार करने का रिस्क लेते है कभी-कभी यह रिस्क जिंदगी पर भारी पड़ जाता है और जिंदगी का सफर थम जाता है. समझाने के बाद भी लोग नहीं मानते हैं.
जमशेदपुर के टाटा नगर रेल पुलिस अधीक्षक के अधीन रेलखंड में आंकड़ों के मुताबिक हर साल पटरी पर एक सौ से ज्यादा आत्महत्या की घटनाएं होती है. इसे रोक पाना रेल पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. रेल एसपी आनंद प्रकाश का कहना है कि रेलवे ट्रैक पर कुछ लोग खुदकुशी कर लेते हैं जबकि लापरवाही की वजह से कुछ लोगों की जान चली जाती है. आजकल ईयरफोन लगाकर कुछ लोग बातें करते हुए या गाना सुनते हुए चलते हैं और ट्रैक पार करने के दौरान कई बार ट्रेन की आवाज उन्हें सुनाई नहीं देती. इस वजह से भी लोगों की जान चली जाती है.
रेल पटरी पर हुई मौत के आंकड़े-
साल मौत पुरुष महिला
2019 107 98 9
2020 39 34 5
2021(31 मार्च तक) 12 12 00
रेलवे लाइन के आसपास बसे बस्तियों में रहने वाले पटरी पर डेरा जमाए रहते हैं. रेलवे द्वारा पटरी को पार करने से रोकने के लिए लोहे की बैरिकेडिंग की गई है लेकिन जान जोखिम में डालकर लोग बेखौफ पटरी को पार करते हैं. बस्ती में रहने वाला युवक विष्णु कुमार का कहना है कि इस तरह दुर्घटना हो सकती है. बस्ती में रहने वाले चिंतामणि बताते हैं कि तीन बार उन्होंने लोगों को बचाया है. एक बार युवक खुदकुशी के इरादे से आगे बढ़ा था लेकिन चिंतामणि ने दौड़कर उसे पकड़कर खींचा और उसकी जान बचाई थी
सुनसान जगहों पर पटरी पर आत्महत्या की घटना घटती है तो ऐसे में रेल पुलिस के लिए तुरंत घटनास्थल पहुंचना और मृतक की पहचान करना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. ट्रेन से हुई घटना के कारण कई बार शव इस हालत में मिलता है कि पहचान करना मुश्किल हो जाता है. आसपास सुनसान होने के कारण कुछ जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में बिना पहचान के शव को शव गृह में कुछ दिन तक रखा जाता है और पहचान के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है.