जीवन एक विचार है
****************
इक दुनिया बाहर सुमन, अन्तर्मन में एक।
रौशन बाहर दीप से, अन्तर करे विवेक।।
अंधकार में दीप का, बढ़ जाता है मान।
अन्तर्मन में झाँक लो, हो खुद की पहचान।।
दीप जले कितने, कहाँ, साधन है आधार।
तमसो मा ज्योतिर्गमय, मन से उठे पुकार।।
बाहर, अन्तर-जगत में, होता नित संघर्ष।
अन्तर अगर प्रकाश तो, जीवन का उत्कर्ष।।
अंधकार, अज्ञान को, सदा मिटाये दीप।
मोती अन्तर में छुपा, बाहर खोजे सीप।।
केवल धन देता नहीं, खुशियों का संसार।
भौतिकता श्रृंगार तो, जीवन एक विचार।।
हर आँगन में दीप हो, परम्परा का मूल।
यही भाव अन्तर जगे, दूर तभी हर भूल।।
श्यामल सुमन
सम्बंधित समाचार
प्रवीण सिंह स्मृति सेवा संस्था के भगवती इन्कलेब परिसर में मित्र दिवस पर रक्तदान शिविर में 576 रक्त संग्रह किया गया
मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी शाखा ने अठारह कृत्रिम अंग एवं पांच श्रवण यंत्र वितरण किया
*झारखण्ड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक राज्य की जनता को तौहफा: मंत्री बन्ना गुप्ता*