झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जागो! मोहन प्यारे जागो

जागो! मोहन प्यारे जागो
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हमने तुमको वोट दिया है
तुमने हमको चोट दिया है
आँगन में दीवार बनाकर
लड़ने को लंगोट दिया है

चलता देश नहीं ताकत से
और नहीं केवल मिन्नत से
इक दूजे का मान करोगे
बढ़ता ये सदा मुहब्बत से

घर घर अभी अकेलापन है
रिश्तों में कम अपनापन है
युवा वर्ग में नित विचार का
भरा जा रहा अंधापन है

अपने को सब सच्चा कहते
पिछड़ गए तो कच्चा कहते
कुछ बुजुर्ग की बातें सुनकर
लगा उसे हम बच्चा कहते

जागो! मोहन प्यारे जागो
दुख में लोग पुकारे, जागो
सुमन जगाओ नित्य चेतना
हर पल, साँझ सकारे जागो

श्यामल सुमन