झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

इबादत है मेरी कविता

इबादत है मेरी कविता
*****************
इबादत है मेरी कविता सुबह से शाम लिखता हूँ
कहीं जीसस, कहीं अल्ला, कहीं पे राम लिखता हूँ
जहाँ लोगों के मन को भा गयी तो बच गयी कविता
नहीं तो रेत पर अपना समझ लो नाम लिखता हूँ
श्यामल सुमन

मन
***
हर मन से उच्चारण है
मन उलझन का कारण है

मन से मन की सुन बातें जो
मन में करता धारण है

ऐसे मन वाले को अक्सर
मन कहता साधारण है

मन लेकिन मनमानी करता
मानव, मन का चारण है

टूटे मन को मन जोड़े तो
मन का कष्ट निवारण है

गर विवेक मन-मीत बने तो
मन – सीमा निर्धारण है

सुमन देखता मन-दर्पण में
कुछ भी नहीं अकारण है

श्यामल सुमन