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हिंदू पीठ  जमशेदपुर के प्रांगण में वीर सावरकर  एवं चंद्रशेखर आजाद  की पुण्यतिथि मनाई गई 

हिंदू पीठ  जमशेदपुर के प्रांगण में वीर सावरकर  एवं चंद्रशेखर आजाद  की पुण्यतिथि मनाई गई

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने इन दोनों महान क्रांतिकारियों के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।इस अवसर पर भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि आज के ही दिन सन 1966 में वीर सावरकर ने ईश्वर के सम्मुख स्वयं को अर्पित कर दिया था । इसीलिए इनकी पुण्यतिथि को आत्मार्पण दिवस कहते हैं । आत्मार्पण करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है इधर यह परंपरा लुप्तप्रायः हो गई है । वीर सावरकर ने हम सभी को आत्मार्पण की जानकारी दी ।

उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने ही पहली बार 1857 की लड़ाई को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा था ।राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  इंद्रदेव प्रसाद ने कहा कि आज हम सभी स्वतंत्र है । गर्व से कहते हैं कि हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं परंतु हमें स्वतंत्रता किस आधार पर मिली है , क्या करने के बाद मिला है और कितने लोगों के बलिदान के बाद मिला है ; अगर इस पर चर्चा करेंगे तो निश्चित रूप से हम लोगों को आगे भी क्या करना है इसका मार्गदर्शन हमें मिलेगा ।

हम वीर सावरकर और चंद्रशेखर आजाद इस प्रकार के व्यक्तियो के जीवन के बारे में चर्चा करेंगे जिसके बारे में पिछले 60 वर्षों में जितनी चर्चा होनी चाहिए वह नहीं के बराबर हुई है ।
आज जरूरत है कि नौजवानों के बीच में वीर सावरकर और चंद्रशेखर आजाद के बारे में तथा बिस्मिल के बारे में और गुरु परिवार के बारे में और इस प्रकार देश और हिंदुत्व की रक्षा के लिए एवं भारत की रक्षा के लिए इन क्रांतिकारियों ने अपने बारे में कभी सोचा ही नहीं , ऐसे व्यक्ति को याद करना बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

विशेष सलाहकार प्रकाश मेहता ने कहा कि वीर सावरकर के समान अद्वितीय आज तक कोई नहीं हुआ । वे कई मामलों में अद्वितीय थे । विश्व के इतिहास में 25 – 25 वर्ष के दो आजीवन कारावास की सजा इनको हुई थी ।

इस अवसर पर श्री पोद्दार के अलावे इंद्रदेव प्रसाद , प्रकाश मेहता , बसंत कुमार सिंह , अरविन्द बरनवाल , मनीषा शर्मा , अर्चना बरनवाल , भुवनेश्वरी मिश्रा , शानू सिंह , प्रिंस सिंह , राहुल कुमार , किशोर सिंह एवं अन्य अनेक लोग उपस्थित थे ।यह जानकारी भारतीय जन महासभा के द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी है