हाथ मिला के बढ़ना आगे
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इधर देख कुआँ ही कुआँ , उधर तुम्हारे खाई है
हाथ मिला के बढ़ना आगे, राजनीति हरजाई है
भूख, प्यास हैं एक सभी के, लहू हमारा इक जैसा
एक साथ रहकर भी लड़ते, किसने आग लगाई है
आमलोग ही पिसते अक्सर, धूप, ठंढ, बरसातों में
खास लोग को दूध, मलाई, तकिया और रजाई है
उन्मादी बातों की जद में, नौनिहाल भी अब दिखते
जो भी मोहरा बनकर जीते, किसकी हुई भलाई है
घातक है ये चाल सियासी, सुमन वक्त पे जग जाओ
या फिर घुट घुट करके जी लो, यह कठोर सच्चाई है
श्यामल सुमन
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