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फुरसत में साहित्यिक समूह ने अपनी स्थापना की सातवीं वर्षगांठ मनाई

फुरसत में साहित्यिक समूह ने अपनी स्थापना की सातवीं वर्षगांठ मनाई इस अवसर पर सदस्यों को सम्मानित किया गया और एक काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया और कार्यक्रम की सफलता के लिए मां वाणी सरस्वती से आशिर्वाद की कामना की कवयित्री अनीता निधि के द्वारा सरस्वती वंदना के पश्चात केक काटा गया समूह की अध्यक्ष आनंद बाला शर्मा ने मुख्य अतिथि एवं सदस्यों का स्वागत किया डा सरिता किशोरी श्रीवास्तव ने संस्था का परिचय देते हुए उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला विदित हो कि फुरसत में समूह ने कम समय में लोकप्रियता हासिल कर ली है, और एक साझा काव्य संकलन भी प्रकाशित किया है यह भोर सुहानी लगती है जिसका जमशेदपुर के साहित्यिक परिवेश में हार्दिक स्वागत हुआ सभी महिला रचनाकार सदस्य घर गृहस्थी के अतिरिक्त अनेक क्षेत्रों में कार्यरत भी है और सृजन करती है अनेक क्षेत्रों में सम्मान भी प्राप्त हुए हैं, वरिष्ठ कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्रा ने अपनी स्वरचित कविता पढ़ी मुझे तलाश उस आसमां की है जहां सपने जवान होते हैं नयी उम्मीद का परचम लेकर, हौसलों से उड़ान होती है ,तथा वरिष्ठ कवयित्री एवं संरक्षक अध्यक्षा आनंद बाला शर्मा की कविता यादों की कश्ती में सैर हो जाए नयी मुलाकातों में पुरानी बात हो जाए और छोटी छोटी हाइकु कविताओं ने वाहवाही बटोरी और मन मोह लिया लोकगायिका वीणा पाण्डेय की रचना भावना संवेदना सिंचित रहे यह मन हमारा सुनाकर सबको प्रभावित किया वरिष्ठ कवयित्री कथाकार माधुरी मिश्रा ने अपनी रचना साक्षात्कार सुनाकर सबको भावनाओं के सागर में बहा ले गई और चर्चित रही तुम चले गए लेकिन पीछे बहुत कुछ छूट गये हो मैं अंधेरे में थी जब अपनी अरुणा भा बिखेरता वो उम्मीदों का उजाला बन आया और मैने स्वागत किया बाल अरुण का
भावप्रवण कवयित्री डा मीनाक्षी कर्ण ने ये आसमान तुम्हारा है नाप लो अपने नन्हें क़दमों से भरो उड़ान अपने हौसलों से…..नारी विमर्श पर रचना सुनाई और सदस्यों के बीच जोश और उत्साह का संचार किया इसके पश्चात वरिष्ठ कोकिल कंठी कवयित्री सुधा अग्रवाल ने अपनी स्वरचित कविता
फिर सपनों ने सौ-सौ रंग भरे
इन्द्रधनुष लहरे मन के आँगन में का सस्वर पाठ किया और सबको मंत्रमुग्ध कर दिया, वरिष्ठ कवयित्री,कथा लेखिका तथा संस्था की वरेण्य अध्यक्ष डा सरिता किशोरी श्रीवास्तव ने अपनी रचना में, जिंदगी की सहजता की बात की कितनी सहज और सुंदर है ये जिंदगी
दुःख सुख के दो कूलो के बीच
बहती है तू
न फिकर तुझे झंझावात की
न चाहत सुखद हवाओं की इस कविता ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर आशा का संचार कर दिया,इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ कवयित्री कथाकार रेणुबाला मिश्रा ने अपनी कविता अमावस के आंचल में
तारे टांक-टांक
ओढ़ लेती हैं,ऐसी
सुघड़ कलाकार।
सरस सृजन की
मंथर गति,अविरल , सुनाकर काव्यात्मक माहौल को खुशनुमा बना दिया,
संचालिका सहज प्रवीण कवयित्री डा मनीला कुमारी–ने फुरसत में संस्था को समर्पित अपनी कविता का पाठ किया और वाहवाही बटोरी–आपस का प्यार
और अपनापन
भरता है नवसृजन
का भाव
वरिष्ठ कवयित्री छाया प्रसाद-ने अपनी रचना संस्था को समर्पित करते हुए कहा-फुर्सत की सखियां ,फुर्सत में कमाल करती हैं।
कविताएं ,कहानियां,लेखों से,सबकों को लुभाती हैं काव्य गोष्ठी देर तक चली वर्षा की बूंदों के बीच भावनाओं का प्रवाह चलता रहा गोष्ठी का प्रमुख आकर्षण कवयित्री अनीता निधि की रचना जो बाल विवाह से संबंधित थी और एक प्रतिनिधि ग़ज़ल रही
रात को ख्वाब में मेरा महबूब मिल गया.
दिल की हसरतों का काफिला जवां हो गया.
न तो उसने कुछ कहा, न मैंने ही कुछ कहा,
आंखों ही आंखों में बातों का सिलसिला हो गया.
आंतरिक अनुभूतियों की कुशल
चितेरी कवयित्री सरिता सिंह ने अपनी रचना
तुम्हारा गुरूर तुम्हारे साथ ही रह जायेगा,
अपनी अपनी राह पर सब आगे निकल जायेगा! सुनाकर सभी को प्रभावित किया,
वरिष्ठ, स्वर कोकिला कवयित्री किरण सिन्हा
की रचना सभी के मन की खूबसूरत भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति के रूप में सामने आई
एक प्यारा सा घर
स्नेहमयी सखियों का
लगता है रोज जहाँ भावों का मेला
खोलते हैं सब यहाँ
अपने अपने अनुभवों के खजाने
मुख्य वक्ता के रुप में डा मनोज आजिज ने कहा फुरसत में संस्था,कुछ निःस्वार्थ, सहज एवं संवेदनशील रचनाकारों की एक टोली है जो अच्छा साहित्य अगली पीढ़ी को दे सकती है.
फ़ुरसत में साहित्यिक समूह ने इस यादगार दिन को एक उत्सव की तरह मनाया इस अवसर पर सभी सदस्यों की उपस्थिति रही, रेणुबाला मिश्रा, गीता दुबे, माधुरी मिश्रा, सुधा अग्रवाल,वीणा पाण्डेय,डा मीनाक्षी कर्ण, पद्मा मिश्रा, सरिता सिंह,डा मनीला कुमारी, श्रीमती आनंद बाला शर्मा,डा सरितकिशोरी श्रीवास्तव, अनीता निधि,आदि उपस्थिति थीं, और कार्यक्रम के पश्चात सुस्वादु रात्रि भोज का आनंद लिया,