फर्क बताती अच्छाई
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लोग सम्भलते बुरे वक्त में, बढ़ती जाती अच्छाई
अच्छे दिन की मदहोशी मे, किसे सुहाती अच्छाई
चक्र घूमता और जीवन में, सुख दुख आते जाते हैं
हर हालत में होश सलामत, यही सिखाती अच्छाई
बोझ बनाकर जीवन जीते, अक्सर ऐसे लोग मिले
टकराते हालात से जब जब, तब मुस्काती अच्छाई
जीते लोग बुराई में जो, वही सराहे जाते क्यों
हाल जहाँ ऐसा तो दिल में, आग लगाती अच्छाई
चीजों से है प्यार भला क्यूँ, इन्सानों से प्यार करो
भौतिकता और इन्सानों में, फर्क बताती अच्छाई
पाठ पढ़ा हम सब ने यारो, अन्त बुराई का होता
कोई सीमा नहीं, बढ़ाओ, सबको भाती अच्छाई
प्रेम समर्पण इक दूजे पर, ऐसा साथी मिल जाए
सुमन हृदय में करुणा हो तो, प्रतिपल आती अच्छाई
श्यामल सुमन
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