झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

दर्द भी अपना हुआ

दर्द भी अपना हुआ
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क्या सही है, क्या गलत ये, फर्क भी अपना हुआ
हर खुशी अपनी अगर तो, दर्द भी अपना हुआ

जिन्दगी भर जिन्दगी के, फलसफे को हम पढ़ें
जिन्दगी अनबूझ फिर तो, मर्ज भी अपना हुआ

वक्त से करना मुहब्बत, या मुहब्बत वक्त पे
वक्त परखें वक्त पर हम, फर्ज भी अपना हुआ

सिर्फ बच जाता अदब ही, और कुछ बचता नहीं
रोज बेहतर हो अदब ये, कर्ज भी अपना हुआ

जिन्दगी किसकी है, कैसी, रोज सीखे ये सुमन
और समझाते हैं जिसमें, तर्क भी अपना हुआ

श्यामल सुमन