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दामोदर में आउटसोर्सिंग खदानों का ओवरडंप गिराने और आउटसोर्सिंग खदानों के कारण झरिया में वायु प्रदूषण की भीषण समस्या दूर करने का वैधानिक उपाय धनबाद और बोकारो जिला प्रशासन तथा झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने यदि इस 31 दिसम्बर तक नहीं किया तो अगले माह जनवरी, 2024 में सरयू राय इस मामले को हाईकोर्ट ले जाएंगे

राँची- दामोदर में आउटसोर्सिंग खदानों का ओवरडंप गिराने और आउटसोर्सिंग खदानों के कारण झरिया में वायु प्रदूषण की भीषण समस्या दूर करने का वैधानिक उपाय धनबाद और बोकारो जिला प्रशासन तथा झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने यदि इस 31 दिसम्बर तक नहीं किया तो अगले माह जनवरी, 2024 में सरयू राय इस मामले को हाईकोर्ट ले जाएंगे
वर्ष 2011 में दामोदर एवं अन्य नदियों के प्रदूषण और नदी के किनारों का अतिक्रमण करने की घटनाओं का झारखण्ड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लिया था और श्री राय के हस्तक्षेप याचिका संख्या-WP(C)/1325/2011 को इस बारे में स्वीकार किया था। श्री राय के हस्तक्षेप याचिका पर न्यायालय के विधिसम्मत आदेश के उपरांत कई स्थानों से दामोदर का अतिक्रमण हटाया गया और दामोदर को प्रदूषित करने वाले उद्योगों ने दामोदर में कचरा गिराना बंद किया गया जिसके कारण दामोदर नद आज 95 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हो गया है।
श्री राय के याचिका संख्या-WP(C)/1325/2011 अभी भी सक्रिय है, झारखण्ड उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है जिसे न्यायालय ने गत 01 दिसम्बर, 2023 को इसे जनवरी 2024 के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है परन्तु तिथि का निर्धारण नहीं किया है। श्री राय ने अपने अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय से परामर्श करने के उपरांत आज निर्णय लिया है कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में इस मामले में नयी सूचनाओं के साथ श्री राय न्यायालय के समक्ष एक हस्तक्षेप याचिका दायर करेंगे, जिसमें प्रमाण के साथ धनबाद और बोकारो जिला में आउटसोर्सिंग खदानों के कारण हो रहे दामोदर में अतिक्रमण की घटनाओं का उल्लेख रहेगा और और अभी तक जिन उद्योगों ने दामोदर में कचरा गिराना पूर्णतः बंद नहीं किया है उनके विरूद्ध कार्रवाई की प्रार्थना भी न्यायालय से की जायेगी। इस याचिका में सुनवाई की तिथि निर्धारित करने की प्रार्थना भी की जायेगी
उल्लेखनीय है कि स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत भारत सरकार नगरपालिकाओं को काफी धन दे रही है जिसके माध्यम से राज्य सरकारों के नगरपालिका क्षेत्रों में हो रहे वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के कार्यक्रम क्रियान्वित करने हैं परन्तु झारखण्ड में यह कार्यक्रम केवल दिखावा बनकर रह गया है। हम अपनी हस्तक्षेप याचिका में न्यायालय से यह आदेश पारित करने का आग्रह करेंगे कि राज्य सरकार द्वारा झरिया सहित विभिन्न नगर पालिका क्षेत्रों में स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत कितने कार्यक्रम तय किये गये हैं ? कितने कार्यक्रम क्रियान्वित हो रहे हैं ? और उनका क्या प्रभाव हुआ है ?
आश्चर्य है कि देश के वायु प्रदूषण मानचित्र में झारखण्ड के किसी भी शहर या स्थान का उल्लेख नहीं मिलता है, क्योंकि किसी भी स्थान पर ‘ऑनलाईन रियल टाईम’ वायु प्रदूषण नापने का संयंत्र या तो नहीं लगा है और यदि लगा है तो वह राज्य प्रदूषण बोर्ड और केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के सर्वर से जुड़ा हुआ नहीं है। इसलिए झारखण्ड में पीएम-10, पीएम-2.5 और पीएम-1 से आकार के प्रदूषण कण युक्त वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है, इसका पता नहीं चल रहा है।
झारखण्ड विधानसभा में इस संबंध में श्री राय के प्रश्न का सरकार द्वारा गलत उत्तर आया जिसकी चुनौती श्री राय ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने दिया है। धनबाद, बोकारो एवं अन्य जिलों का जिला प्रशासन आउटसोर्सिंग खदान का ओवरबर्डेन डंपिंग और उद्योगों से प्रदूषित बह्रिस्राव पर इस माह के अंत तक प्रभावी रोक नहीं लगाया तो श्री राय की याचिका संख्या-WP(C)/1325/2011 को श्री राय जनवरी के तीसरे सप्ताह के पहले सुनवाई के लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित करने की प्रार्थना झारखण्ड उच्च न्यायालय से करेंगे