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CSIR-CMERI की ऑक्सीजन संवर्धन तकनीक: देश की मेडिकल ऑक्सीजन आवश्यकताओं के लिए वरदान और सूक्ष्म -लघु और माध्यम उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण अवसर

*CSIR-CMERI की ऑक्सीजन संवर्धन तकनीक: देश की मेडिकल ऑक्सीजन आवश्यकताओं के लिए वरदान और सूक्ष्म -लघु और माध्यम उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण अवसर*

सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्योग विकास संस्थान (MSME – DI) रांची और CSIR- केंद्रीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग शोध संस्थान (CMERI) दुर्गापुर के द्वारा ऑक्सीजन संवर्धन यूनिट सम्बन्धी तकनीक और MSMEs द्वारा इनके उत्पादन के विषय पर स्वास्थ्य क्षेत्र , उद्योगों और अन्य सम्बंधित प्रतिनिधियों के लिए संयुक्त रूप से एक वेबिनार का आयोजन 25 मई को किया गया। इस कार्यक्रम में मूलतः झारखण्ड के सूक्ष्म और लघु उद्योगों तथा उनके संगठनो के प्रतिनिधि, चिकित्सकों , वैज्ञानिको और स्टार्ट उप के लिए इच्छुक लगभग 100 प्रतिभागियो ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को CSIR-CMERI के निदेशक प्रो हरीश हिरानी ने मुख्य वक्त के रूप में सम्बोधित किया।
CSIR-CMERI के निदेशक प्रो (डॉ)हरीश हिरानी ने सस्थान द्वारा विकसित तकनीकों खासकर ऑक्सीजन संवर्धन तकनीकों पर एक विस्तृत वैज्ञानिक और तार्किक प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया की इन दिनों देश में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गई और इस दौरान ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर की भी भारी मांग देखी गई। जैसा कि सामान्यतः होता है, संकट काल में हमें अनेक उत्पादों का आयत करना पड़ता है, इस बार भी ऐसा ही हुआ। इस दौरान औद्योगिक ग्रैड ऑक्सीजन के मेडिकल उपयोग का भी सहारा लिया गया यद्यपि इस उपयोग से अनेक कठिनाइयां होने की संभावना रहती है। प्राकृतिक रूप से श्वसन के दौरान ऑक्सीजन इन्हेल करने में पूरी प्रक्रिया का एक तिहाई समय लगता है परन्तु मरीजों को एक नियत फ्लो रेट पर अनवरत ऑक्सीजन दिया गया , जिससे लगभग दो तिहाई ऑक्सीजन की बर्बादी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । इसलिए ऑक्सीजन चिकित्सा को अधिक प्रभावी बनाने और बर्बादी को काम करने के लिए इस दौरान वैज्ञानिक तरीके से तालमेल और देश के अंदर इनोवेशन की आवश्यकता है।
प्रो हिरानी ने बताया कि वर्तमान में देश में उपलब्ध अथवा आयातित ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मूलतः नेसल कैनुला के साथ उपयोग के लिए बने थे, यद्यपि वर्तमान दौर में इनकी महत्वपूर्ण उपयोगिता देखि गई देखी गई , फिर भी इनके अधिक प्रभावी उपयोग के लिए नए प्रकार के डिज़ाइन परिवर्तन की आवश्यकता है। देश के स्वस्थ्य क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप CSIR-CMERI ने ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण तकनीक विकसित किया और अबतक 13 MSME इकाइयों को हस्तांतरित किया है, जहा इसके उत्पादन की प्रक्रिया जारी है। इस तकनीक को प्राप्त करके अन्य MSMEs भी इनका उत्पादन कर सकते है। आवश्यकता इस बात की है कि ऑक्सीजन संवर्धन OxygenEnrichment) की तकनीक ऐसी हो जिससे इनका उपयोग अधिक वैज्ञानिक तरीके से किया जा सके जिससे यह मरीजों के स्वस्थ्य के लिए उपयोगी हो साथ ही डॉक्टर्स के पास इनके वैज्ञानिक उपयोग का नियंत्रण उपलब्ध हो.
उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन चिकित्सा में यदि चिकित्सकों के पास फ्लो रेट (LPM )और ऑक्सीजन प्रतिशत (FiO2 ) दोनों का स्वतंत्र नियंत्रण हो तो यह अधिक उपयोगी हो सकता है। वर्तमान में उपलब्ध ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर में सिर्फ फ्लो रेट को नियंत्रित किया जा सकता है CSIR-CMERI ऐसे ऑक्सीजन संवर्धन इकाई का विकास कर रहा है जिसके द्वारा इन दोनों को नियंत्रित किया जा सकेगा। प्रो हिरानी ने बताया कि उनके संसथान द्वारा विकसित ऑक्सीजन संवर्धन इकाई (OEU) वर्तमान में उपलब्ध और आयातित इकाइयों की तुलना में नई तकनीकी विशिष्टताओं से लैस है । इस इकाई को पहाड़ी क्षेत्रों और देश की रक्षा में दुर्गम स्थानों पर तैनात सैनिकों के उपयोग में भी लाया जा सकता है। संस्थान इस तकनीक को और अधिक विकसित करने जिसमें FiO2 और फ्लो रेट के स्वतंत्र नियंत्रण की सुविधा होगी तथा इनकी क्षमता 1-15 LPM तक होगी। यह उन्नत संस्करण घरेलु उपयोग हेतु और अस्पतालों के लिए अलग-अलग प्रकारों में विकसित किया जा रहा है।
संस्थान द्वारा विकसित 50 LPM के ऑक्सीजन संवर्धन यूनिट को 10 बिस्तरों के अस्पतालों के लिए आसानी से उपयोग में लाया जा सकेगा जहां प्रति बेड 1-5 LPM क्षमता से ऑक्सीजन आपूर्ति हो सकेगी। यदि उद्योग चाहें और यदि चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों को जरूरत महसूस हो तो संस्थान एक इंटीग्रेटेड योजना के तहत मिनी आईसीयू स्थापित करने के लिए स्वस्थ वायु प्रकल्प विकसित कर सकती है। प्रो हिरानी ने कहा की हम तकनिकी और वैज्ञानिक माध्यम से उद्योगों और स्वास्थय क्षेत्र का सहयोग करने के लिए कृत संकल्पित है, आवश्यकता है देश के अंदर उपलब्ध उन्नत तकनीक के द्वारा भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल उत्पादन करने की। उन्होंने मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों से आग्रह किया कि तकनिकी आवश्यकताओं के विषय में CSIR-CMERI को बताएं जिससे उनकी आवश्यकता के अनुरूप उन्नत तकनीकों का विकास किया जा सके. प्रो. हिरानी ने इस कार्यक्रम के आयोजन और MSMEs को दिए जा रहे सहयोग के लिए MSME-DI रांची की सराहना की
कार्यक्रम के दौरान MSME-DI रांची के संयुक्त निदेशक डॉ एस के साहू ने सूक्ष्म,लघु और माध्यम उद्योगों के लिए आरम्भ किए गए भारत सरकार के विभिन्न प्रोत्साहन कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया की CSIR-CMERI जैसे शोध संस्थान अनेक महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास कर रहे हैं तथा विशेषकर MSME इकाइयों को हस्तांतरित कर रहे है, यह तकनीक MSME उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण अवसर की तरह है ,जिन्हें प्राप्त करके सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाया जाना चाहिए। डॉ साहू ने सूक्ष्म , लघु और माध्यम उद्योग मंत्रालय के क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) के बारे में जानकारी दी जिसके तहत मसमे इकाइयों को अवसंरचनात्मक सहयोग प्रदान किया जाता है। इसके तहत कॉमन फैसिलिटी केंद्र की स्थापना द्वारा इकाइयों को बीस करोड़ रूपया तक का ग्रांट भारत सरकार उपलब्ध करा सकती है साथ ही अवसंरचना विकास , मार्केटिंग हब इत्यादि की स्थापना में भी सहयोग प्रदान किया जा सकता है इसके अतिरिक्त, MSME इकाइयों के लिए उपलब्ध सिडबी की योजनाओं के बारे में भी बताया. डॉ साहू ने कहा की MSME-DI रांची या उनके धनबाद स्थित कार्यालय से उद्यमी संपर्क करके उन योजनाओं की अधिक जानकारी और लाभ प्राप्त कर सकते है।
कार्यक्रम को झारखण्ड ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव राजीव शर्मा तथा मसमे एसोसिएशन ऑफ़ झारखण्ड के अध्यक्ष शशिभूषण ने भी सम्बोधित किया तथा CSIR-CMERI द्वारा किये जा रहे तकनिकी विकास और वैज्ञानिक प्रगति तथा देश के अंदर आत्मनिर्भर औद्योगिक विकास की दिशा में योगदान की प्रशंसा । कार्यक्रम के दौरान अनेक छोटे उद्योगों के प्रतिनिधियों ने इस तरह के तकनिकी सहयोग के लिए CMERI की प्रशंसा की, तथा उम्मीद व्यक्त किया की भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाते हुवे वे इन तकनीकों के उत्पादन की दिशा में प्रयास कर सकेंगे।