चुपके से रो जाता हूँ
***************
ऑंखें तुमसे जब मिलतीं हैं, मैं खुद में खो जाता हूँ
तेरे दिल की तुम कहना पर, मैं तेरा हो जाता हूँ
तड़प तड़प के रहना पड़ता, तेरा मौन पुकारे जब
हाय! बेबसी यूँ दिल में कि, बस आँसू बो जाता हूँ
बिन बोले भी प्यार तुम्हारा, दिल में गहरा यूँ उतरा
चाहत मेरी तू मंजिल बन, मैं मंजिल को जाता हूँ
कैसी ये दुनियादारी जो, मिलके भी मिलना मुश्किल
आँखों आँखों में बतियाकर, चुपके से रो जाता हूँ
बहुत अधूरा सा लगता है, सुमन तुम्हारे बिन जीना
जहाँ बोझ सा अपना जीवन, हंस करके ढो जाता हूँ
श्यामल सुमन
सम्बंधित समाचार
जमशेदपुर जिला बार संघ के सभी अधिवक्ताओं के लिए बहुत ही दुखद घड़ी का समय है एक ही दिन में हम लोगों ने दो अधिवक्ताओं को खो दिया
उर्विता संस्था का सावन महोत्सव हर्षोल्लास के साथ संपन्न
स्वर्णरेखा तट पर स्थित गांधी घाट में दो दिवसीय पतंजलि समेकित रोग उपचार शिविर का आयोजन