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चक्रधरपुर रेल मंडल द्वारा आयोजित जमशेदपुर स्टेशन के दूसरे प्रवेश द्वार का उदघाटन कार्यक्रम कुप्रबंध से भरा था

आज चक्रधरपुर रेल मंडल द्वारा आयोजित जमशेदपुर स्टेशन के दूसरे प्रवेश द्वार का उदघाटन कार्यक्रम कुप्रबंध से भरा था और शालीनता रहित था. लगा ही नहीं कि यह भारत सरकार के एक शीर्ष उपक्रम का कार्यक्रम है. कार्यक्रम का आयोजन न केवल कुप्रबंध से भरा था बल्कि आमंत्रित अतिथियों के लिये अपमानजनक भी था.

रेलवे स्टेशन का दूसरा प्रवेश द्वार जमशेदपुर पूर्वी  विधानसभा क्षेत्र की ओर खुलता है और वहाँ से निकलने वाला पैदल पार पथ (फुट ओवर ब्रिज) जुगसलाई विधानसभा विधायक मंगल कालिन्दी के क्षेत्र तक जाता है. इन दोनों को लिखित आमंत्रण देकर रेल अधिकारियों ने बुलाया था. परंतु वहाँ की व्यवस्था से लगा कि रेल अधिकारियों को केवल  सांसद  की ही चिंता है. विधायकों का कोई महत्व उनकी नज़र में नहीं है. स्थानीय विधायकों को बुलाकर उन्होंने केवल औपचारिकता का निर्वाह किया है. लगा कि हमें उन्होंने केवल पुष्प गुच्छ और शाल स्वीकार करने के लिये बुलाया था.

चेम्बर ऑफ कॉमर्स रेलवे का महत्वपूर्ण हितधारक  संगठन है. चेम्बर के अध्यक्ष की कोई भूमिका इस कार्यक्रम में रेलअधिकारियों ने नहीं निर्धारित किया था. रेलवे के दूसरे प्रवेश द्वार का प्रयोग करने वालों में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र की जनता सर्वाधिक है. प्रवेश करने के बाद और प्रवेश करने से पहले जन सुविधाओं के घोर अभाव के बारे में हम कुछ बता नहीं दें और उनकी व्यवस्था करने के बारे में हम सार्वजनिक रूप से मांग नहीं कर दें, शायद इसलिये रेल अधिकारियों ने न तो मुझे दो शब्द कहने का अवसर दिया और न ही  विधायक  मंगल कालिंदी को ही कुछ बताने का अवसर दिया.

मंच से उतर कर उदघाटन स्थल तक जाने के लिये भी उन्होंने ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया था ताकि हम आमंत्रित अतिथि भी वहाँ तक निर्विघ्न पहुँच सकें. उन्हें केवल सांसद  को ही उनके कार्यकर्ताओं के साथ उदघाटन स्थल तक सुरक्षित पहुँचाने की चिंता थी. शायद ऐसा इसलिये भी हो कि सांसद  ही केन्द्र सरकार में बैठे सरकारी दल के एकमात्र प्रतिनिधि हैं. उस दल का एक भी विधायक कोल्हान से नहीं है.

विधायक श्री राय ने कहा कि यह दूसरा अवसर था जब लगा कि यदि जमशेदपुर में सांसद  के साथ किसी संयुक्त सार्वजनिक कार्यक्रम में जाने का आमंत्रण मिले तो अपने साथ कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह लेकर जाना चाहिये ताकि वे भी समानांतर गला फाड़ नारे लगा सकें और लोगों को धकिया कर अपने लिये आगे जाने का रास्ता बना सकें. भारत सरकार के रेल विभाग के कार्यक्रम में ऐसी भेड़िया धसान स्थिति उत्पन्न होने का अंदेशा मुझे नहीं था और न ही यह उम्मीद थी कि रेल अधिकारियों ने हमें बुलाकर मात्र औपचारिकता का निर्वाह किया है.

इस कारण मुझे उदघाटन स्थल तक पहुँचे बिना वापस आना पड़ा. उम्मीद है रेल अधिकारी किसी को अपने कार्यक्रम में अतिथि के रूप में बुलाकर भविष्य में ऐसी अपमान जनक स्थिति उत्पन्न नहीं करेंगे.