झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

चिथड़ों को भी सीना सीखा

चिथड़ों को भी सीना सीखा
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जिसने दुःख में जीना सीखा
जड़ना वही नगीना सीखा

फटेहाल जीवन की गाथा
चिथड़ों को भी सीना सीखा

जीवन को भवसागर कहते
कैसे चले सफीना सीखा

जीवित रहना कम साधन में
सालों साल महीना सीखा

कितने कम हैं खुशियों के पल
जहर ग़मों का पीना सीखा

बिना परिश्रम भोग, रोग है
निकले सदा पसीना सीखा

चाल अघोषित है जीवन की
नूतन सुमन करीना सीखा

श्यामल सुमन