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बकरी पालन कर खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलायें

पोटका- बकरी पालन कर खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलायें

झारखण्ड सरकार के कल्याण विभाग की इकाई झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) के प्रयास से पोटका प्रखंड के बुरूहातु गांव में स्वयं सहायता महिला समूह के लिए शुरू किया गया बकरी प्रजनन केंद्र महिलाओं के आय का एक मजबूत श्रोत बन गया है । वर्ष 2019-20 में 40 बकरी एवं दो बकरा के साथ शुरू किये गये इस बकरी प्रजनन केंद्र में अब साठ बकरी एवं बकरा हैं, जबकि एसएचजी की महिला सदस्य एक लाख से अधिक रुपये का कारोबार कर चुकी हैं ।
गौरतलब है कि झारखंड सरकार के कल्याण विभाग की इकाई जेटीडीएस की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका प्रखंड में आदिवासी परिवारों के आर्थिक विकास एवं जीविका में अतिरिक्त वृद्धि के तहत जे.टी.इ.एल.पी (JTELP) परियोजना चलायी जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों का आजीविका बढ़ाना है । इसी परियोजना का लाभ आदिवासियों को देने के लिए जेटीडीएस की ओर से रसुनचोपा पंचायत के बुरूहातु गांव में रीला माला महिला समिति का गठन किया गया, जिससे गांव की कुल चौदह महिलाएं जुड़ी इसके पश्चात वित्तीय वर्ष 2019-20 में बुरूहातु गांव में बकरी प्रजनन केंद्र खोला गया, जहां महिलाओं को चालीस बकरी और दो बकरा प्रदान किया गया । इसका मूल उद्देश्य महिलाओं को बकरी पालन से जोड़कर स्वरोजगार उपलब्ध कराना था । इसमें एसएचजी समूह की महिलाओं ने काफी रूचि दिखाई एवं स्वयं नियमावली तैयार किया, जहां दो महिलाएं प्रतिदिन बकरी चराने का काम करती है तो दो महिलाएं केंद्र की साफ-सफाई करती है । यहां एक महिला को बकरी के रखरखाव हेतु प्रशिक्षण भी दिया गया, जो बकरियों का ईलाज के साथ-साथ वैक्सीन देने का काम करती हैं । इस तरह से समूह की महिलाओं द्वारा अबतक एक लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया जा चुका है, जबकि अभी भी प्रजनन केंद्र में साठ से अधिक बकरी एवं बकरा मौजूद हैं ।
रीला माला महिला समिति के दीपाली सरदार बताती हैं कि शुरूआत में परियोजना को लेकर काफी डर लगा था कि वह कर पायेंगी की नहीं, लेकिन जेटीडीएस की ओर से प्रशिक्षण में सारी जानकारी और विधि बतायी जाने के बाद उनको साहस हुआ और सभी ने काम करना शुरू किया। महिला समिति के द्वारा अबतक कुल 1 लाख 41 हजार रुपये से अधिक का कारोबार किया गया है, जबकि अभी भी समिति के पास साठ से अधिक बकरी मौजूद है । कारोबार के आमदनी से सभी महिलाएं घर का खर्चा चला लेती है । इस परियोजना से जुड़ने के बाद महिला समूह को रोजगार के लिए कहीं हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ी, बल्कि वह अपने स्वरोजगार से काफी खुश है ।
जेटीडीएस के जिला परियोजना प्रबंधक रूस्तम अंसारी ने बताया कि बकरी प्रजनन केंद्र का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सामूहिक रूप से बकरी पालन को एक व्यवसाय का रूप देना है, जिससे की आदिवासी परिवार के लिए आमदनी का एक अतिरिक्त साधन बन जाये । इसी उद्देश्य से शुरू किया गया यह परियोजना अब कामयाब होते दिख रहा है । इससे आसपास की महिलाएं भी काफी प्रेरित हो रही है । इससे महिला समूह में काफी खुशी है । इस बकरी पालन में इनके घर के पुरुष भी हाथ बंटाते है, वहीं गांव से पलायन रोकने में भी यह कारगर कदम साबित हो रहा है ।
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*=============================*26 जून से 2 जुलाई तक चलाये जा रहे ‘पानी रोको पौधा रोपो अभियान’ के तहत घाटशिला प्रखंड के बाघुरिया पंचायत में प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार एस अभिनव, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी राजेश श्रीवास्तव, अभिषेक शाह, पंचायत जनप्रतिनिधि, रोजगार सेवक द्वारा कृषक ललित महतो की जमीन पर आम बागवानी किया गया। मौके पर बीडीओ ने दीपक महतो की जमीन पर बने तालाब का भी निरीक्षण किया। बीडीओ श्री अभिनव द्वारा बताया गया कि मनरेगा योजना अंतर्गत नीलांबर पीताम्बर जल समृद्धि योजना एवम् बिरसा हरित ग्राम योजना को मिशन मोड पर क्रियान्वित करने हेतु ‘पानी रोको पौधा रोपो’ अभियान का शुभारंभ किया गया है ताकि वर्षा जल संग्रहण एवम् मृदा संरक्षण के प्रयास को सार्थक बनाते हुए लोगो को उनके पंचायत में ही रोजगार उपलब्ध कराए जा सके।
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*”प्रोजेक्ट शिशु” के अंतर्गत कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास हेतु झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन।*

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय से “प्रोजेक्ट शिशु” के अंतर्गत कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास हेतु झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “प्रोजेक्ट शिशु” के तहत कोरोना महामारी के दौरान राज्य के वैसे बच्चे जिन्होंने अपने अभिभावकों को खोया है उन बच्चों का पुनर्वास करना निश्चित रूप से बहुत ही संवेदनशील और हृदय को छूने वाला कार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एवं झालसा के प्रयास से संक्रमण काल में अनाथ हुए बच्चों को सहारा दिया जाना तथा सहारा बनने की मुहिम के साथ आगे बढ़ना एक पुनीत कार्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में अनेकों ऐसे बच्चे हैं जिनके जीवन से मां-बाप का साया सदा के लिए समाप्त हो चुका है। ऐसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार ने लोगों के जीवन और जीविका को गंभीरता से लिया । जीवन और जीविका दोनों सुरक्षित रहे इसके लिए कई कार्यक्रम चलाए गए। कई स्वयंसेवी संस्थाएं तथा लोगों का भी पूरा सहयोग सरकार को इस वैश्विक महामारी के दौर में मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां झारखंड राज्य के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। राज्य सरकार इन सभी चुनौतियों से निपटते हुए निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ, गरीब, जरूरतमंद लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास हमेशा से ही किया है। मुख्यमंत्री ने साहेबगंज जिले के बरहेट प्रखंड स्थित एक बच्चे जिसका नाम उदय हाँसदा है, का उदाहरण देते हुए कहा कि जब मैं उस बच्चे से मिला तब वह बच्चा आठ साल का था। किसी कारण से उस बच्चे के माता-पिता और भैया भाभी की मृत्यु हो गई थी वह बच्चा अनाथ था । मैंने ग्रामीणों के सहयोग से उस बच्चे को नानी के देखरेख में रखवाया। आज वह बच्चा 10 साल का हो गया है और पढ़ लिख रहा है। वह बच्चा आज भी हमारी निगरानी में है । मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के इस दौर में ऐसे कई उदाहरण हम सभी के बीच हैं जिनको मदद की आवश्यकता है और हमें हर हाल में उनकी मदद करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जरूरतमंद तथा अनाथ बच्चों को पारिवारिक माहौल देने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। जरूरतमंद तथा अनाथ बच्चों को उनके गांव में ही भरण पोषण तथा शिक्षा मिल सके इस निमित्त राज्य सरकार कार्य योजना बना रही है। गांव की विधवा महिला तथा वैसे पुरुष जो अकेले हैं, अगर अनाथ बच्चों को अपने साथ रखने के लिए तैयार होंगे तो सरकार उन्हें हर संभव आर्थिक मदद करेगी। ऐसे लोगों को राज्य सरकार की विशेष योजनाओं से जोड़ा जाएगा। ऐसे अनाथ बच्चे अपने गांव में ही पारिवारिक तथा सामाजिक माहौल में रहकर अपनी जड़ें मजबूत कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग बचाया जा सके , इस निमित्त प्रतिबद्धता के साथ कार्य किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक तथा विशेषज्ञों द्वारा संभावित कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर के मद्देनजर सरकार ने पूर्ण रूप से तैयारी करने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा बताया जा रहा है इस राज्य भर के अस्पतालों में शिशु केयर वार्ड बनाकर सभी चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हुई मौत को देखते हुए राज्य में ग्राम तथा पंचायत स्तर पर डेथ ऑडिट करने का कार्य राज्य सरकार कर रही है। संक्रमण काल में कोरोना से हुई मृत्यु का सही आंकड़ा उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है।
इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय डॉ रविरंजन ने “प्रोजेक्ट शिशु” के तहत हो रहे कार्य तथा अपने अनुभवों को साझा किया ।उन्होनें कई आवश्यक सुझाव तथा किए जा रहे कार्यों के मूल मंत्र को दर्शाया। न्यायाधीश झारखंड उच्च न्यायालय अपरेश कुमार सिंह ने कोरोना संक्रमण काल में वैसे बच्चे जिनके जीवन से माता-पिता का साया उठ गया है, उनकी व्यथा को सभी के समक्ष रखा। ऐसे बच्चों के लिए प्रोजेक्ट शिशु” के तहत झालसा तथा राज्य सरकार के समन्वय से किए जा रहे कार्यों से सभी को अवगत कराया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बाल संरक्षण एक परिचय, चाइल्ड वेलफेयर कमिटी पंपलेट तथा शॉर्ट कार्टून फिल्म फोस्टकेयर आदि का विमोचन भी किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से झालसा द्वारा चिन्हित सोनाहातू प्रखंड तथा बेड़ो प्रखंड के लाभुकों को सरकार के विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं के लाभों से जोड़ा। मौके पर राज्य के विभिन्न जिलों में चिन्हित लाभुकों को कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लाभों से जोड़ा गया।
इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंद्रशेखर, न्यायाधीश नारायण प्रसाद, राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, विधि विभाग के प्रधान सचिव संजय प्रसाद, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, महाधिवक्ता राजीव रंजन, महानिबंधक, झारखंड उच्च न्यायालय तथा नालसा के पदाधिकारीगण, यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख प्रसांता दास सहित अन्य वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।*
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पूर्वी सिंहभूम जिले में दिनांक 26 जून से 2 जुलाई 2021 तक व्यापक स्तर पर पानी रोको पौधा रोपो अभियान का संचालन किया जा रहा है । इसके तहत पोटका के अंचलाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी इम्तीयाज अहमद ने रसुनचोपा पंचायत के रसुनचोपा मे प्रधान हांसदा के जमीन पर बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लिये गये आम बागवानी का निरीक्षण किये इस मौके पर सीओ ने किसानों का मार्गदर्शन किया एवं मजदूरों को मनरेगा से जुड़ने के फायदा बताये । उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनरेगा योजना अंतर्गत नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना एवं वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना का संचालन किया जा रहा है, जिसके तहत लोग योजना ले सकते है, साथ ही मनरेगा से एक सौ दिन का रोजगार पा सकते है । इसके लिए कोई भी इच्छुक व्यक्ति पंचायत कार्यालय या प्रखंड कार्यालय में आवेदन करें, उन्हें लाभ दिया जायेगा । इस अवसर पर मुख्य रूप से बी.पी.ओ. अमीत कुमार, रोजगार सेवक सुकदेव हेंब्रम आदि मौजूद थे ।
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