झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

भई गति साँप छूछन्दर आपन

मैया! कुछ कुबेर भरमायो।
मति मारी गयी मोरी मैया, जो किसान बिल लायो।।
मैया! कुछ —–

छाड़ि यशोदा वर्षों खुद को पर्वत में भटकायो।
दशकों भिक्षाटन कर खायो खुद सबको बतलायो।
पद के मद में आपन गरदन अपने आप फँसायो।
मैया! कुछ —–

मोहजाल में मधुर बात से लोगन को उलझायो।
अंध प्रेम में फंसकर मोको सिंहासन पहुंचायो।
पोल खोल दी कृषक एकता बहुतहिं नाच नचायो।
मैया! कुछ —–

वामी, कांगी, कलमकार ने घर घर पाठ पढ़ायो।
हाथ सुमन दे सब लोगन को मुझ पे ही भड़कायो।
भई गति साँप, छूछन्दर आपन कैसे बाहर आयो?
मैया! कुछ —–

श्यामल सुमन