झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

भाईचारा टूटल हो

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो

अन्नदाता हौ आज सड़क पे
घर में राजा सूतल हो
कौन ठगवा —–

कितनो जन के शीतलहर में
जग से नाता छूटल हो
कौन ठगवा —–

जे विरोध करिहैं राजा के
ओके दम भर कूटल हो
कौन ठगवा —–

दरबारी नित भेद बढ़ावे
भाईचारा टूटल हो
कौन ठगवा —–

शांत सुमन ई देश में कैसे
धू धू धुआं ऊठल हो
कौन ठगवा —–

नोट -पूर्वज *कबीर* से माफी की अपील और उन्हें प्रणाम

श्यामल सुमन