भाई सहोदर भ्रष्ट अगर तो
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है कुदाल सी नीयत प्रायः, बदल रहा परिवेश।
बचा लो, अपना भारत देश।।
बड़े हुए पढ़ते, सुनते हम, यह धरती है पावन।
कचड़े चुन चुन जहाँ पे करते, लाखों जीवन यापन।
नित दिल्ली में होली दिवाली, मगर गाँव में क्लेश। बचा लो, अपना भारत देश।।
है रक्षक से डर ऐसा कि जन जन चौंक रहे हैं।
चर्चा के बदले संसद में, लगता भौंक रहे हैं।
लोकतंत्र के इस मंदिर से, यह कैसा सन्देश?
बचा लो, अपना भारत देश।।
वादे, नारे दे विकास का, वो बोले मंचों से।
अमलोग बेहाल भला क्यूँ,पूछो सरपंचों से?
है गरीब भारत फिर कैसे, पैसा गया विदेश?
बचा लो, अपना भारत देश।।
सजग सुमन हों अगर चमन के, होगा तभी निदान।
भाई सहोदर भ्रष्ट अगर तो, क्यों उसका सम्मान?
आजादी के नव-विहान का, निकले तभी दिनेश।
बचा लो, अपना भारत देश।।
श्यामल सुमन
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