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बदहाली पर आंसू बहा रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नहीं आते डॉक्टर

सरायकेला के चवालिबासा में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बद से बदतर हो गई है. वहीं, इस केंद्र की स्थिति के कारण डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी यहां नहीं आते हैं.

सरायकेला: कोरोना काल में लोगों को स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सुविधाओं की लगातार जरूरत पड़ रही है. ऐसे में लोगों को अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र पर बेहतर सुविधा मिले सके, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है. वहीं, सरायकेला खरसावां जिले के चांडिल प्रखंड अंतर्गत नेशनल हाईवे-33 के किनारे स्थित चवालिबासा का एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर आंसू बहा रहा है.
एनएच-33 चवालिबासा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरोना संक्रमण काल में भी दुरुस्त नहीं हो सका है. यहां डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी नहीं आते हैं. लिहाजा एकमात्र आदेशपाल है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का रख रखाव कर रहा है. नेशनल हाईवे के किनारे स्थित होने के कारण सड़क पर होने वाले हर एक छोटे और बड़े दुर्घटना के बाद इस स्वास्थ्य केंद्र का प्रयोग प्राथमिक उच्च उपचार के तौर पर किया जा सकता था, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण हाईवे सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को शहर या अनुमंडल अस्पताल बेहतर इलाज के लिए मजबूरन ले जाना पड़ता है. ऐसे में लोगों की जान का खतरा भी बना रहता है.
हजारों की आबादी के बीच चवालिबासा का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य विभाग के उदासीन रवैया का शिकार है. स्थानीय जनप्रतिनिधि और पंचायत समिति के सदस्य गुरुचरण साव ने बताया कि लंबे समय से स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टरों की कमी स्वास्थ्य केंद्र में बनी थी. इसलिए इन्होंने सांसद, विधायक समेत जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखा, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा दो डॉक्टरों की पोस्टिंग इस स्वास्थ्य केंद्र में की गई, लेकिन दोनों डॉक्टर यहां नहीं आते. इसके अलावा एक फार्मासिस्ट की भी पदस्थापना यहां पर है, लेकिन फार्मासिस्ट भी कभी-कभार आता है.
सालों पहले बनाया गया चवालिबासा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिना रखरखाव के कारण जर्जर हो चला है. यहां कभी भी भवन क्षतिग्रस्त होने जैसी घटना घटित हो सकती है. ग्रामीणों ने बताया कि खस्ताहाल भवन होने के कारण स्वास्थ्यकर्मी भी डरे सहमे रहते हैं और यहां काम करने से कतराते हैं. लिहाजा स्वास्थ्यकर्मी भी अपने जानमाल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं और चाह कर भी अस्पताल में अपनी सेवा नहीं दे पाते.