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अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के तीसरे दिन का आगाज वैदिक मंत्र उच्चारण के बाद नेपाल से आए ज्योतिषी उमा वत्सला द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया

जमशेदपुर- अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के तीसरे दिन का आगाज वैदिक मंत्र उच्चारण के बाद नेपाल से आए ज्योतिषी उमा वत्सला द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया सत्र में सम्माननीय अतिथि के रूप में प्रो सुशील कुमार शर्मा मंचासीन रहे इसके बाद नेपाल के ज्योतिष संस्था द्वारा देश विदेश से आए ज्योतिषियों को रुद्राक्ष माला पहनाकर एवं चंदन टीका लगाकर सम्मानित किया गया इसके उपरांत सभी स्थानीय ज्योतिषियों को मंच पर गल वस्त्र पहनाकर स्वागत किया गया सभी ने समारोह आयोजन के प्रति विचार दिया गया आज के प्रथम सत्र अंक ज्योतिष और निदान ज्योतिष सत्र में रोग मुक्ति हेतु डॉ एन कुमार ने अपना शोध को साझा किया इसके अलावा ज्योतिष हरविन्दर सिंह, ज्योतिष धनराज, यशवंत कुमार, राजेश भारती, प्रो मुरली कृष्ण, उषा सोनकर इत्यादि ने अपने अपने ज्ञान एवं अनुभवों को साझा करते हुए कुंडलियों एवं अंकों से सटीक निदान पर जानकारी दिए । इस सत्र के दौरान प्रो एस के शास्त्री ने बताया की जब कभी भी मंत्र उपचार का निदान देते हैं तो मंत्र उच्चारण पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि गलत मंत्रोचार से फल उल्टा हो जाता है, उनके द्वारा यह जानकारी साझा किया गया कि संस्थान के द्वारा रत्न उपचार के क्षेत्र में एक शोध किया जा रहा है क्योंकि अक्सर देखा गया है कि सही रत्न चयन होने के बावजूद इसके सही स्वरूप आकार या गुणवत्ता की वजह से जातकों को यह नकारात्मक रूप से फल देता है, शोध के पश्चात् इसे जनहित में प्रकाशित किया जाएगा। सकारात्मक एवं सही उपचार हेतु रुद्राक्ष के प्रयोग पर विशेष बल देते हुए उन्होंने बताया की क्योंकि रत्नउपचार का फल गलत हो सकता है परंतु रुद्राक्ष का कभी कोई रिएक्शन नहीं होता यह सकारात्मक फल ही देता है। इसके संबंध मे कुछ महत्वपूर्ण सूत्र साझा करते हुए उन्होंने बताया कि संतान एवं विवाह बाधा में जिन्हें भी गणेश रुद्राक्ष का विधिवत प्रयोग दिया गया वह शत प्रतिशत सफल हुआ है, इसी प्रकार विवाह बाधा या पति-पत्नी संबंधों में गड़बड़ी यहाँ तक की तालक का नौबत होने के बाद भी हर गौरी पूजन एवं गौरी शंकर रुद्राक्ष का विधिवत प्रयोग काफी सफल होता है साथ ही उन्होंने यह बताया कि यदि किसी का खराब राहू का समय चल रहा हो तो इसका कोई निदान नहीं होता सिर्फ प्रार्थना करनी चाहिए। इस सत्र में अतिथि के रूप मे उपस्थित डॉ उज्ज्वल राय ने अपना विचार व्यक्त करते हुए सत्र का समापन किया
दोपहर 2 बजे से वास्तुशास्त्र में देश बिदेश से आए प्रबुद्ध वास्तुविदों यथा यशवंत कुमार ने हस्तरेखा से वस्तु संगत उपायों एवं प्रो नरेंद्र कुमार, डॉ राजेश भारती, सामान्य वास्तुशास्त्र के अपने शोध एवं ज्ञान को साझा करते हुए नया घर निर्माण मे वास्तु अपनाने के साथ बने बनाए घरों में गलत वस्तु को चिन्हित कर उसके गलत प्रभावों पर विस्तृत विश्लेषण देते हुए निराकरण का उपाय बताया गया।
तीन दिवसीय एशियन ज्योतिष सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि ने रूप में भारतीय सेना में कार्यरत रहे वर्तमान में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष, झारखंड शामिल हुए उन्होंने अपने संबोधन मे जमशेदपुर शहर में इस प्रकार के उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को अत्यंत गर्व की बात बताते हुए कहा की इससे शहरवासियों को विश्व भर से आए विद्वानों का सुनने, समझने, और उनसे निशुल्क ज्योतिष परामर्श प्राप्त करने का एक अद्वितीय अवसर मिला है और इस महान कार्य के लिए प्रो एस के शास्त्री और उनकी टीम बहुत बहुत बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं। ज्योतिष शास्त्र का विज्ञान एवं आध्यात्म के बीच अन्योन्याश्रय समन्वय बताते हुए कहा कि, जहां विज्ञान सीमित होता है, वहां से आध्यात्मिकता का शुरुआत होता है, तो आध्यात्मिकता के बिना ज्योतिष शास्त्र में पूर्ण ज्ञान की कल्पना नहीं की जा सकती “ज्योतिष” के शाब्दिक अर्थ के रूप मे सूर्य के प्रकाश का ज्ञान बताते हुए उन्होंने अपने संबोधन अपेक्षा रखा की एक ज्योतिषी मे उसी प्रकाश पुंज के स्वरुप समय के साथ बदलते जीवन की सीमाओं को समझने की योग्यता होनी चाहिए, ताकि उनके सानिध्य से आने वाले व्यक्ति के जीवन में अंधकार रूपी नकारात्मकता और परेशानियों का दमन हो सके।
आगे वर्तमान समाज में ज्योतिषियों की उपयोगिता पर बल देते हुए बताया कि आम जनों की विभिन्न जीवन शैलियों और अलग-अलग जीवन स्तरों पर कई परेशानियों का सामना करने के कारण उनके उचित मार्गदर्शन और निदान के लिए ज्योतिष शास्त्र के दक्ष विद्वान ज्योतिषियों की आवश्यकता काफी बढ़ गई है। अतः ज्योतिषियों को विभिन्न विशेषज्ञताओं में मान्यता देते हुए उनका प्रमाणीकरण और चिह्नीकरण किया जाने की काफी अवश्यकता है, ताकि वे समाज में अपनी विशिष्टता विशेषज्ञ के रूप मे प्रतिष्ठित हों। इस तरह, से ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में एक नया व्यावसायिक दृष्टिकोण विकसित हो पाएगा, उदाहरणार्थ, ज्योतिषियों को नैदानिक तथा उपचारिक ज्योतिष, विवाह निर्णय विशेषज्ञ, प्रश्न विशेषज्ञ एवं व्यवसाय निर्धारण विशेषज्ञ इत्यादि के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सकता है। ऐसा करने से वर्तमान परिदृश्य में ना सिर्फ ज्योतिष शास्त्र की सार्वभौमिकता एवं व्यापकता बढ़ेगी बल्कि आम जनों को भी उनके समस्याओं का सटीक उपाय एवं निदान मिल पाएगा I
अंत में विगत वर्षों मे संस्थान से पास हुए विभिन्न उपाधियों मे कूल 34 विधयार्थियों को प्रमाण पत्र दिया गया तथा 3 डाक्टरेट की उपाधि प्रदान किया गया इसके बाद इस तीन दिवसीय सत्र के दौरान ज्योतिर्विदों द्वारा विभिन्न सत्रों मे और विभिन्न विधाओं मे उत्कृष्ट शोध एवं ज्ञान साझा करने के लिए पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र मेडल के रूप में सबसे बड़े सम्मान महर्षि भृगु सम्मान ज्योतिष उषा सोनकर को दिया गया साथ ही अलग अलग विधाओं मे प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार के रूप में हरविंदर सिंह, बांग्लादेश के फकीर यासिर अराफात, पदमा झा, के के जोशी, यशवंत सिंह एवं महात्मा पांडे को मेडल से सम्मानित किया गया
तीनों दिन के सम्मेलन के सफलता का जिक्र करते हुए डॉ सुरेश झा ने कहा कि यह सम्मेलन कई मायनों में सफल रहा जिसमे ज्योतिषियों के आपसी ज्ञान एवं शोध को तो साझा किया ही साथ साथ हजारों स्थानीय जमशेदपुर वासियों ने निशुल्क ज्योतिष परामर्श का लाभ उठाया तथा सम्मेलन की सफलता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है की 11 वर्ष के ज्योतिषी से लेकर 82 वर्ष के बयोवृद्ध ज्योतिषी ने समान ऊर्जा के साथ शिरकत किया। सम्मेलन की सफलता मे अभिजीत चक्रवर्ती, नीलम झा, बाबू विचित्र बेरा, विजेता सिंह, संजीव झा, राकेश तिवारी, प्रज्ञानंद कुमार, आयुष कुमार, पद्म झा, धनराज इत्यादि का सक्रिय योगदान रहा