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अंतिम चरण में पहुंचा नमामि गंगे परियोजना पर काम, 425 करोड़ की लागत से शुरू हुआ था काम

साहिबगंज को केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 425 करोड़ रुपया निर्गत किया है, जिसमें 44 करोड़ की लागत से गंगा तट पर घाट पर बनाने की अनुमति मिली. इस परियोजना के तहत चल रही सभी योजनाएं लगभग पूरी हो चुकी है.
साहिबगंज: जिले में 83 किमी पास करते हुए उत्तरवाहिनी गंगा बंगाल की खाड़ी में गिरती है. झारखंड का यह अकेला जिला है, जहां से गंगा बहती है और हर साल बाढ़ की विभीषिका से लोग परेशान रहते है. केंद्र सरकार ने साल 2016 में नमामि गंगे परियोजना की शुरुआती की थी. साहिबगंज में भी गंगा को अविरल और शुद्ध रखने के लिए नमामि गंगे परियोजना को लाया गया था.
साहिबगंज को केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 425 करोड़ रुपया निर्गत किया, जिसमें 44 करोड़ की लागत से गंगा तट पर गंगा घाट पर बनाने की अनुमति मिली. साहिबगंज और राजमहल अनुमंडल के अंतगर्त 14 गंगा घाट बनाया गया है. जिसमें दो शमशान घाट भी शामिल है. इस घाट का काम अब अंतिम चरण में है. गंगा घाट से जिलेवासियों को बहुत लाभ मिलेगा. यहां पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग शौचालय और बाथरूम बनाया गया है. लोगों के बैठने के लिए भी गंगा किनारे व्यवस्था की गई है. सीढ़ी का निर्माण किया गया है, साथ ही बाग बगीचा भी लगाया गया है.
मामाले में उपायुक्त ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना के तहत चल रही सभी योजनाएं लगभग पूरी हो चुकी है. इस योजना पर एनपीसीसी और जुडको काम कर रही है. एनपीसीसी गंगा घाट और जुडको कंपनी सीवरेज का काम लिए हुए हैं. दोनो कंपनी को दिसंबर के अंत तक पूरा कर रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है.