ऐसा क्यूँ होता भगवान?
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कुछ घर में है रोज दिवाली,
बाकी घर में क्यों कंगाली?
तेरी दुनिया, तुम्हीं पिता हो,
हैं सब तेरी ही सन्तान।
ऐसा क्यूँ होता भगवान?
तुम कहते तो पत्ते हिलते,
फिर क्यूँ चोर उचक्के मिलते?
क्या तुम प्रेरक अभी करे जो,
मानवता का नित नुकसान।
ऐसा क्यूँ होता भगवान?
तेरी मूरत, पूजित कौन,
दुनियावाले फिर भी मौन।
तेरे चढावे लूट लूटकर,
मुल्ला पण्डित हैं धनवान
ऐसा क्यूँ होता भगवान?
रखवाला हो फिर तो जागो,
या फिर दुनिया छोड़ के भागो।
माली की नजरों में सब दिन,
सभी सुमन हैं एक समान।
ऐसा क्यूँ होता भगवान?
श्यामल सुमन
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