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आर्थिक तंगी से जूझ रहे ऑटो चालक, सड़क और पार्किंग में खड़ी हजारों ऑटो

आर्थिक तंगी से जूझ रहे ऑटो चालक, सड़क और पार्किंग में खड़ी हजारों ऑटो

जमशेदपुर में लॉकडाउन का असर लगभग हर व्यवसाय पर दिखने लगा है. लाॅकडाउन के कारण हजारों ऑटो सड़कों पर खड़ी है, जिसे सवारी नहीं मिल रहा है. इस हालत में ऑटो चालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
जमशेदपुरः कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है. संक्रमण की रोकथाम को लेकर झारखंड में 29 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया गया है, जिसका असर लगभग हर व्यवसाय पर पड़ने लगा है. लाॅकडाउन के कारण हजारों की संख्या में ऑटो सड़कों और पार्किंग में खड़ी है. इससे ऑटो चालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ऑटो चालकों का कहना है जिंदगी पटरी पर लौट रही थी, लेकिन फिर से हालात बिगड़ने लगे हैं.
शहर में कोरोना की दूसरी लहर का व्यापक असर दिखने लगा है. एक तरफ कई व्यवस्थाएं बदल गई हैं, दूसरी ओर लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है. शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के लिए सबसे सुविधाजनक ऑटो है, जिसे आज एक पैसेंजर तक नहीं मिल रहा है. सड़क किनारे ऑटो खड़ी रहती है और चालक टकटकी लगाए दिनभर पैसेंजर का इंतजार करते रहते हैं.
शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के लिए बस और ऑटो की सुविधा है. पिछले वर्ष कोरोना काल मे लॉकडाउन लगाया गया, तो सभी व्यवस्थाएं बंद रही. इससे बस और ऑटो चालक आर्थिक संकट से जूझने रहे थे. 2020 के लॉकडाउन के बाद अनलॉक हुआ, तो कुछ आमदनी शुरू हुई. फिर कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है. इस लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. ऑटो और बस चलाने की अनुमति है, लेकिन बस और ऑटो चालकों को सवारी नहीं मिल रही है. इससे दिनभर ऑटो सड़कों पर खड़ी नजर आती है.
कोरोना के संक्रमण की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार की ओर से गाइडलाइंस जारी की गई है. इस गाइडलाइंस के पालन करने को लेकर प्रशासन कटिबद्ध है. ट्रैफिक डीएसपी बब्बन सिंह बताते है कि ऑटो में सिर्फ तीन यात्रियों को बैठाने की अनुमति है. बिना मास्क ऑटो में बैठना मना है, नियम का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी.
शहर की सड़कों पर लगभग 17 हजार ऑटो दौड़ती है. इसको लेकर शहर में अलग-अलग इलाके में ऑटो स्टैंड है, जहां से सवारी लेकर ऑटो रवाना होती है. कुछ ऑटो बिना स्टैंड के चलती है. वर्तमान समय में ऑटो चालक दिनभर सवारी के इंतजार में गुजार रहे हैं. मुश्किल से दो-चार सवारी मिलती है. इससे ऑटो चालकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऑटो चालक कहते हैं कि बढ़ते संक्रमण के कारण लोग बाहर कम निकल रहे है. बाहर निकलने वाले लोग भी ऑटो का उपयोग नहीं कर रहे हैं. सवारी की कमी के कारण तेल का खर्च भी नहीं निकाल पाता है.
टाटानगर रेलवे स्टेशन के पार्किंग में करीब 450 ऑटो चालक है, जो ट्रेन से आने वाले यात्रियों को सेवा देते है. संक्रमण के कारण सभी ट्रेनें नहीं चल रही हैं. स्थिति यह है कि जो ट्रेनें चल रही है, उसमें यात्रियों की संख्या काफी घट गई है. इसका असर स्टेशन के ऑटो चालकों पर पड़ रहा है. स्टेशन पार्किंग के ऑटो चालक कहते हैं कि मुश्किल से दाल-रोटी की जुगाड़ कर लेते है. बाहर से आने वाले यात्री कोरोना जांच कराकर आते हैं, फिर भी उन्हें ऑटो में बैठाने में डर लगता है.