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आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति  ने शैव तंत्र, तांडव, ललित मार्मिक नृत्य को पुनः स्थापित कर कल्याण के द्वार खोल दिए

आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति  ने शैव तंत्र, तांडव, ललित मार्मिक नृत्य को पुनः स्थापित कर कल्याण के द्वार खोल दिए

आनन्द मार्ग शैव तन्त्र का उपासक है ,शिव के सम्मान में ही सब का सम्मान है

जमशेदपुर – आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वाधान गदरा आनंद मार्ग जागृति में त्रिदिवसीय सेमिनार समाप्ति के बाद 6 फरवरी को साधकों ने गुरु सकाश एवं पाञ्चजन्य मे अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र “बाबा नाम केवलम्” का गायन कर वातावरण को मधुमय बना दिया आचार्य मंत्रचैतन्यानंद अवधूत ने कहा कि सदाशिव

मानव के आदि पिता हैं भगवान सदाशिव। इस पृथ्वी ग्रह पर मनुष्य लगभग 10 लाख वर्ष पूर्व आया ।आज मनुष्य के जिस स्वरूप को देख रहे हैं यह मनुष्य एक लाख वर्ष पुराना है और मानव सभ्यता का इतिहास मात्र 15 हजार वर्षों का है। पशुवत जीवन जी रहे मनुष्य को भगवान शिव ने सभ्यता के साथ जीना सिखाया। इस पृथ्वी ग्रह पर पार्वती से प्रथम विवाह कर पारिवारिक व्यवस्था को स्थापित किया। बैद्यनाथ, गंधर्वराज, नटराज, सरगम के जन्मदाता भगवान शिव के सम्मान में ही सबका सम्मान है। व्यष्टि और समष्टि के दैहिक मानसिक और आध्यात्मिक शूल (कष्ट) को दूर करने का अद्भुत कार्य कर त्रिशूलधारी कहलाए। जिस स्वरोदय शास्त्र की सहायता से चिकित्सा विज्ञान विशेषकर आयुर्वेद मनुष्य के रोग निवारण का कार्य करता है उसके जन्मदाता भगवान शिव ही हैं। आचार्य जी ने बताया कि सहस्रार में निवास करने वाले ध्याननिष्ठ भगवान सदाशिव की अर्थ खुली आंखों को देख कर लोग अपने संस्कार के कारण और अपनी कमजोरी छुपाने के लिए शिव को नशेड़ी- गन्जेरी की संज्ञा देते हैं यह महापाप है । भगवान शिव ने विद्या तंत्र साधना देकर मानव समाज के भविष्य को सुरक्षित किया। तंत्र की गलत व्याख्या के कारण ही मनुष्य तंत्र और तांत्रिक शब्द से भयभीत होता है जबकि मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को पुष्टि प्रदान करने का कार्य सिर्फ तंत्र साधना ही करता है। मन के विस्तार का और वसुधैव कुटुंबकम के भाव की जागृति तंत्र साधना में निहित है।
आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने शैव तंत्र, तांडव, ललित मार्मिक नृत्य को पुनः स्थापित कर कल्याण के द्वार खोल दिए।

आज आनंदमार्ग जागृति गदरा से एक शोभा यात्रा निकाली गई गदरा , बाड़ीगोड़ा , रहड़गोड़ा के सड़कों पर नारे लगाए जा रहे थे – “दुनिया के नैतिक वादियों एक हो ,एक हो” ,”विश्व बंधुत्व कायम हो ,कायम हो “, एक चूल्हा एक चौका एक है मानव समाज , मानव मानव एक है मानव का धर्म एक है ,आनंद मार्ग अमर है एवं “बाबा नाम केवलम्” की कीर्तन भी गाए जा रहे थे