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आज दिनांक 21.03.2023 को झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और माननीय न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में पीयुसीएल द्वारा दायर पीआईएल रिट (जनहित याचिका) संख्या 3434 – 2019 की सुनवाई हुई

आज दिनांक 21.03.2023 को झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और माननीय न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में पीयुसीएल द्वारा दायर पीआईएल रिट (जनहित याचिका) संख्या 3434 – 2019 की सुनवाई हुई पिटीशन में झारखंड सरकार द्वारा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर स्पंज आयरन कंपनियों को स्थापित करने और प्रदूषण मानकों का घोर उल्लंघन कर स्पंज आयरन बनाने वाली और ग्रामीणों के पानी के बुनियादी अधिकार के साथ उनके जीवन के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों – सिद्धि विनायक मेटकॉम लिमिटेड, नरसिंह इस्पात लिमिटेड, जय मंगला स्पंज आयरन प्राईवेट लिमिटेड, कोहिनूर स्टील प्राईवेट लिमिटेड, जूही इंडस्ट्रीज प्राईवेट लिमिटेड, चांडिल इंडस्ट्रीज प्राईवेट लिमिटेड, डिवाईन एलॉयज एंड पावर लिमिटेड तथा एम्मार एलॉयज प्राईवेट लिमिटेड को तत्काल बंद करने की मांग की गयी है। माननीय उच्च न्यायालय ने मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के मद्देनजर एडवोकेट जेनेरल के नेशनल ग्रीन ट्राईब्यूनल में मामले को भेजने के तर्क को खारिज कर इस संवेदनशील मामले का संज्ञान लिया और भारत सरकार, राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित तमाम दोषी कंपनियों के खिलाफ नोटिस निर्गत किया।
ज्ञातव्य है कि याचिकाकर्ता पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने चौका, चांडिल और उसके आसपास लगभग 2-3 वर्ग किमी क्षेत्र में स्थित उपरोक्त 9 कंपनियों के खिलाफ पर्यावरण दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर स्पंज आयरन प्लांट स्थापित करने, ग्रामीणों को पानी से महरूम करने, जमीन की उर्वरता बरबाद करने, हवा के उत्सर्जन मानदंडों का घोर उल्लंघन कर क्षेत्र को प्रदूषित करने और प्राकृतिक जल धाराओं को दूषित करने के खिलाफ 2019 में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल किया था। पीयूसीएल के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि कंपनियों द्वारा पानी के पुन: उपयोग के मानदंडों का उल्लंघन कर गहरे बोरिंग के माध्यम से अवैध रूप से भूजल निकाल कर भूजल में अप्रत्याशित कमी करने और जमीन की उर्वरता को नष्ट करने, ठोस और तरल कचरे के द्वारा जमीन की उपरी सतह को प्रदूषित कर उसे कृषि के लिए अनुपयुक्त बनाने सहित वायु प्रदूषण द्वारा ग्रामीणों के स्वच्छ वायु और जीवन के बुनियादी अधिकारों का राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मिलीभगत से वर्षों से उल्लंघन कर रही है।
ज्ञातव्य है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के 30 मई, 2008 के नोटिफिकेशन के अनुसार स्पंज आयरण प्लांटों की स्थापना राज्य सरकार द्वारा घोषित इंडस्ट्रियल एरिया में और आबादी से कम से कम एक किमी दूर, केन्द्र और राज्य हाईवे से आधा किमी दूर होना चाहिए तथा दो स्पंज प्लांटों के बीच पांच किमी की दूरी होनी चाहिए जबकि चौका में लगभग दो से तीन वर्ग किमी के अंदर ये नौ कंपनियों के प्लांट स्थापित हैं। ज्ञातव्य यह भी है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वायु की गुणवत्ता मानक पर 18 नवम्बर, 2009 के नोटिफिकेशन में जो गुणवत्ता मानक तय किये गये हैं उनका घोर उल्लंघन कर रही है ये कंपनियां और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिसे हर वर्ष 104 दिनों का वायु गुणवत्ता की माप करनी है, ने इस इलाके में वायु प्रदूषण/ उत्सर्जन की जांच करने वाली कोई व्यवस्था स्थापित नहीं की है।
पीयूसीएल के तरफ़ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिंह और आकाश शर्मा और मंजरी सिंहा ने सुनवाई में हिस्सा लिया।