झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

आग उगलना पड़ता है

आग उगलना पड़ता है
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मानवता से भटक रहे जो, उन्हें समझना पड़ता है
जो भटकाते उनकी खातिर, आग उगलना पड़ता है

सभी धर्म मानव से निर्मित, नैतिक मूल्य बचाने को
फिर काहे को धर्म भेद से, हमें गुजरना पड़ता है

इक दूजे का आदर करना, सिखलाते हैं धर्म सभी
कौन धर्म ऊपर क्यों इसपर, रोज उलझना पड़ता है

धर्म-युद्ध में युद्धों से भी, ज्यादे अबतक लोग मरे
जान बूझकर जो न समझे, तुरत निबटना पड़ता है

धर्म सदा एक संविधान जो, हमें सिखाता है जीना
जो न समझे सुमन उन्हें तो, सदा सुबकना पड़ता है

श्यामल सुमन