झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

आँगन के खालीपन में भी

आँगन के खालीपन में भी
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फागुन आया, तुम न आये, यादों की कहानी दिल में है
बिछुड़न के सारे जख्मों की, प्यारी सी निशानी दिल में है

हर बार मिलन की तड़प लिए, आ जाता है ऋतुराज यहाँ
जीने की मजबूरी फिर भी, वो प्यास पुरानी दिल में है

सुख-दुख, मिलन-जुदाई तो, आते जाते यह सुना बहुत
सहरा-सा जीवन है फिर भी, चाहत की जवानी दिल में है

जब प्रियतम पास नहीं होते, फागुन का रंग लगे फीका
आँगन के खालीपन में भी, जीने की रवानी दिल में है

कोयल की मीठी कूक यहाँ, इक हूक जगा देती अक्सर
खुशबू संग सुमन मिले निश्चित वो घड़ी सुहानी दिल में है

श्यामल सुमन