झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

तपता है जितना सोना

तपता है जितना सोना
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करते हैं लोग जो भी, वैसा ही फल मिलेगा।
अच्छा करम किया तो, अच्छा ही कल मिलेगा।।

तुलसी भी यही कहते, गीता भी यही कहती।
बाधा से जूझ जिन्दगी, गंगा की तरह बहती।
तपता है जितना सोना, उतना असल मिलेगा।।
अच्छा करम ———-

कहने को पढ़ते कितने, कुछ तेज निकलते हैं।
लाखों के बीच इक, दो, रंगरेज निकलते हैं।
जिन्दा विचार वाला, अक्सर अटल मिलेगा।
अच्छा करम ———-

जग में सुमन सभी की, अनमोल जिन्दगी है।
आपस का भाईचारा, मधुर बोल जिन्दगी है।
सोचेगा वक्त पे जो, उसको अकल मिलेगा।।
अच्छा करम ———-

श्यामल सुमन