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राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर शिक्षा विहार, भटगामा के प्रांगण में मिथिला पत्रकार मंच के तत्वावधान में आयोजित बदलते परिवेश में बदलती पत्रकारिता बिषय पर संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में मैथिली संदेश के संपादक डा धनाकर ठाकुर ने कहा कि पहले साहित्य समाज का दर्पण होता था परन्तु आज बदलते परिवेश में पत्रकार समाज का निर्माता बन रहा है

बिहार दलसिंहसराय(समस्तीपुर जिलामे)राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर शिक्षा विहार, भटगामा के प्रांगण में मिथिला पत्रकार मंच के तत्वावधान में आयोजित बदलते परिवेश में बदलती पत्रकारिता बिषय पर संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में मैथिली संदेश के संपादक डा धनाकर ठाकुर ने कहा कि पहले साहित्य समाज का दर्पण होता था परन्तु आज बदलते परिवेश में पत्रकार समाज का निर्माता बन रहा है समाज के हर बड़े छोटे खबरों को निर्भीकता से प्रकाशित कर सुसभ्य समाज का निर्माता बन गया है। हालांकि उनके परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता हैं, फिर भी पत्रकार धर्म को निभाने वाले युवा और साहसी पत्रकार अपने कर्तव्य पथ से डिगते नहीं है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बिहार संदेश दिल्ली के संपादक प्रो पी के झा प्रेम ने कहा कि आज समय बदल रहा है, पत्र पत्रिकाएं और पत्रकार की भूमिका भी बदल गया है,समय के साथ नहीं चलने वाले मिडिया को लोग नजर अंदाज भी कर रहे हैं। संगोष्ठी में बिषय प्रवेश करते हुए युवा पत्रकार मिंटू झा ने कहा कि आज बदलते हुए समय में पत्रकार को भी उचित पारिश्रमिक तथा सामाजिक सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए ताकि वह निरभिकता से खबरें को समाज के सामने ला सकें। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए शिक्षा विहार बुलेटिन के संपादक सुशांत चन्द्र मिश्र ने कहा कि आज के पत्रकार को समाचार संकलन, प्रकाशन के साथ साथ समाज को दिशा देने में भी महती भूमिका निभाने होंगे,आशा है वह इस भूमिका के लिए अपने को तैयार करेंगे।
इस अवसर पर शिक्षा विहार बुलेटिन के सह संपादक वीरेंद्र कुमार तथा मनीष कुमार और प्रबंध संपादक प्रीति प्रियदर्शिनी आदि भी अपने विचार व्यक्त किए।
इसके पूर्व युवा मिथिला के शिक्षा विहार में एक कार्यक्रम में नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों को मोटिवेशनल स्पीच में प्रोफेसर मेडिसिन वाराणसी डा धनाकर ठाकुर ने कहा कि हर निराशा के बाद आशा की किरणें निकलती हैं।कभी भी आत्महत्या की बात नहीं सोचें।मूल पुस्तकें पढ़ना चाहिए और बारंबार उसे ही पढ़ कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
पढ़ने और पढ़ाने वाले बिहार के संस्थान कोटा में यह स्थिति बदलनी चाहिए। स्वस्थ रहना है कि इसीलिए भोजन और व्यायाम दोनों पर ध्यान देना चाहिए। सात घंटे सोएं। चबाकर खाने वाली भूंजा आदि खाएं।एक अमरूदों का पेड़ जरूर लगाएं। एक खेत में सब्जी उपजाएं। कार्यक्रम में महाकवि विद्यापति का जय जय भैरवी और जनकवि यात्री नागार्जुन का भगवान हमर मिथिला सुख‌ शान्तिक घर हो दूहराया गया।