झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर कॉफी टेबल बुक “देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व” प्रकाशित जमशेदपुर के लेखक संदीप मुरारका ने किया संपादन एवं फीचर लेखन

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर कॉफी टेबल बुक “देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व” प्रकाशित जमशेदपुर के लेखक संदीप मुरारका ने किया संपादन एवं फीचर लेखन

*पहली प्रति मंत्री बन्ना गुप्ता एवं उपायुक्त विजया जाधव को दी भेंट*

*जंगल हैं तो आदिवासी हैं और आदिवासी हैं तभी तो जंगल हैं*

जमशेदपुर, 15 नवंबर. जनजातीय गौरव दिवस बिरसा मुंडा जयंती एवं झारखंड स्थापना दिवस पर जमशेदपुर के लेखक संदीप  मुरारका द्वारा संपादित एक “कॉफी टेबल बुक” प्रकाशित हुई है. कुल 116 पृष्ठों की इस पुस्तक में
देश के 105 विशिष्ट व्यक्तित्वों का सचित्र संक्षिप्त परिचय शामिल है. इस पुस्तक की संकल्पना एवं फीचर लेखन संदीप मुरारका ने किया है. उन्होंने यह पुस्तक सिदगोड़ा टाउन हॉल में मंत्री बन्ना गुप्ता एवं उपायुक्त विजया जाधव नारायण राव को भेंट की. पुस्तक में कश्मीर से कर्नाटक तक के 23 राज्यों की 52 जनजातियों को समेटने का प्रयास किया गया है. देश भर में फैले जनजातीय समुदाय के वैसे प्रेरक व्यक्तित्व इस कॉफी टेबल बुक का हिस्सा हैं, जो भले स्वयं कभी स्कूल नहीं गए हों, परंतु आज उनके अनुकरणीय जीवन और कार्यों पर पीएचडी की जा रही है.
जैसे कि मध्यप्रदेश के पद्मश्री भज्जू श्याम की पेंटिंग्स की पुस्तकों की लाखों प्रतियां यूरोप में बिक चुकी है. राजस्थान की प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा 165 देशों में कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत कर चुकी हैं. झारखंड के जल पुरुष पद्मश्री बाबा सिमोन उरांव अपने दम पर बांध बना चुके हैं. ओडिशा के कैनाल मैन दैतारी नायक ने नहर खोद डाली है. केरल के जंगलो की दादी पद्मश्री लक्ष्मी कुट्टी के पास देश विदेश के लोग इलाज करा रहे हैं. मेघालय की ट्रिनिटी साइओ लकाडोंग हल्दी की एक्सपोर्टर बन चुकी है. कर्नाटक में जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया के नाम से विख्यात तुलसी गौड़ा एक लाख से ज्यादा पौधे लगा चुकी हैं. महाराष्ट्र की पद्मश्री राही बाई सोमा पोपरे ने बीज बैंक की स्थापना की है. गुजरात के भगत बापू को इस सदी के वाल्मीकि की संज्ञा दी जा सकती है. त्रिपुरा के 102 वर्षीय पद्मश्री थांगा डारलोंग पुरातन संगीत परंपरा के संवाहक हैं. मणिपुर की अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज पद्मविभूषण एम सी मैरीकॉम छह बार विश्वविजेता रह चुकी हैं. नागालैंड की रानी गाईदिन्ल्यु की वीरता के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 रुपये के सिक्के जारी किए हैं. असम की पद्मश्री वीरुबाला राभा डायन प्रथा जैसी कुप्रथा से जूझ रही हैं. अरुणाचल प्रदेश की पद्मश्री अंशु जामसेनपा महज छह दिनों में दो बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर कीर्तिमान रच चुकी हैं. सिक्किम का बाइचुंग भूटिया फुटबॉल स्टेडियम उनके योगदान की कहानी बयां करता है. तेलंगाना की अजमेरा बॉबी कमर्शियल पायलट बनकर हवाई जहाज उड़ा रहीं हैं. जम्मू एवं कश्मीर के पद्मश्री मोहम्मद दीन जागीर की मदद से भारतीय सेना ने पाकिस्तानी मंसूबों पर पानी फेर दिया था.
इस सचित्र पुस्तक में पद्म सम्मान प्राप्त 76 आदिवासियों का जिक्र है वहीं महामहिम द्रौपदी मुर्मू, दिशोम गुरु शिबू सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल, देश के कैग गिरीश चंद्र मुर्मू , राजदूत स्व एन एन हरालु, अमृत लुगुन, विश्व बैंक के वरिष्ठ सलाहकार राजीव टोपनो जैसे महान आदिवासी राजनायिक व्यक्तित्वों की चर्चा है.
इनके अलावा झारखंड की बाइकर गर्ल कंचन उगूरसैंडी, महावीर चक्र से सम्मानित कैप्टन कैशिंग क्लिफफोर्ड नोंग्रुम, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त जेम्स माइकल लिंग्दोह एवं हरि शंकर ब्रह्मा, मिरेकल मैन ऑफ इंडिया आर्मस्ट्रांग पॉमे भाप्रसे, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एच के सेमा, परमवीर चक्र से सम्मानित लांस नायक अल्बर्ट एक्का, पर्यावरणविद चामी मुर्मू, सिदो कान्हू विश्विद्यालय की कुलपति प्रो सोना झरिया मिंज, एवरेस्ट विजेता बिनीता सोरेन, ध्यानचंद पुरस्कार विजेता सुमराय टेटे, भारतीय महिला जूनियर हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे, अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज टी जोरमथांगा, पहली आदिवासी महिला पायलट अजमेरा बॉबी, नारी शक्ति पुरस्कार विजेता पडाला भूदेवी जैसे प्रेरक व्यक्तित्वों को समेटे हुये यह रंगीन पुस्तक काफी आकर्षक बन पड़ी है. पुस्तक का मूल्य 1800 रुपये है. प्रकाशक कोलकाता के विद्यादीप फाउंडेशन एवं मुद्रक रांची के कैलाश पेपर कन्वर्शन प्राइवेट लिमिटेड हैं.
*पुस्तक में कौन कौन सी जनजातियां हैं शामिल*
संथाल, खोंड,भोट्टादा, उरांव, मुंडा, खड़िया, हो, भुइंया (ओड़िशा), भूमिज, परधान (गोंड़), पुहुम, भील, कालबेलिया, अहरी (मीणा), वरली, महादेव कोली, कोकना, चारण (गढ़वी), कानीकर, तांगखुल, गारो, जयंतिया पहाड़ी, खासी,रेयागं (ब्रू), जमटिया, डारलोंग, कॉम रेम, नागा, जेमे कछा, सुमी, आओ, रोंगमेई (काबुई), अंगामी, नाइक, हक्काली, गौड़ालू, हल्लाकी, मिसिंग (मिरी), बोड़ो, राभा, शेरदुकपेन, मोनपा, न्यीशी, आदी, भूटिया, लेपचा, ओंग, कुकी (चिन), राजगोंड़, कोया, बंजारा, बकरवाल एवं सावरा.
संदीप मुरारका का मानना है कि प्रचार प्रसार से दूर रहने वाले जनजातीय समुदाय के महानायकों के संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी को पुस्तक का आकार देना अत्यावश्यक है. ताकि यदि कोई शोधार्थी इन पर शोध करना चाहे तो उसे मूल सामग्री उपलब्ध हो सके. जनजातीय समुदाय के महान व्यक्तित्वों की आधी अधूरी जीवनियां क्षेत्रीय भाषाओं में बिखरी पड़ी हैं, इन सब पर शोध कर एक एक पुस्तक लिखी जा सकती है. आदिवासी राष्ट्र रूपी वृक्ष की जड़ हैं, इनकी जीवनियां इतिहास के कई बंद दरवाजों को खोल सकती है़. हालांकि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियों पर शोध प्रारंभ हुए हैं, पर अब तक जो कार्य हुआ है वह नाकाफी है़.
एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व के 195 देशों में लगभग 7,117 भाषाएं बोली जाती हैं. वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 122 प्रमुख भाषाएं हैं एवं 1599 अन्य भाषाएं हैं. बीबीसी के एक आर्टिकल के अनुसार भारत में लगभग 3,000 जातियां एवं 25,000 उपजातियां हैं. हर जाति के अपने अपने नियम, धार्मिक परंपरा, देवी देवता, रीति रिवाज, मान्यता और धार्मिक पुस्तक है़. अपने देश में प्रचलित ये धार्मिक पुस्तकें या तो उस धर्म को मानने वाले लोगों की भाषा में उपलब्ध है या बहुत हुआ तो हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला और ओड़िया में प्रकाशित हुई है. अपने देश में केवल “श्रीमद्भागवत गीता” ही एक ऐसा लोकप्रिय धार्मिक ग्रंथ है, जिसका अनुवाद लगभग 75 भाषाओं में हो चुका है.
वहीं एक रोमांचक तथ्य यह है कि धार्मिक ग्रंथ “पवित्र बाइबिल” का अनुवाद विश्व की लगभग हर भाषा में हो चुका है. पूर्ण बाइबिल विश्व की 704 भाषाओं में उपलब्ध है. वहीं इसके पदों एवं कुछ अंशो को 3,415 भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है. केवल पूर्वोत्तर भारत की 70 से ज्यादा भाषाओं में बाइबिल अनुवादित हो चुकी है. पूर्वोत्तर में बाइबिल का पहला अनुवाद वर्ष 1891 में मेघालय की खासी भाषा में हुआ था, अनुवाद का यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। अरुणाचल प्रदेश में 7 भाषाओं में बाइबिल उपलब्ध है, हाल ही में 2016 में वहां की न्यीशी भाषा में बाइबिल के पदों का अनुवाद प्रकाशित हुआ है. नागालैंड की 13 जनजातीय भाषाओं में बाइबिल का अनुवाद प्रकाशित हो चुका है. त्रिपुरा की 6 भाषाओं में , मिजोरम की 11, मेघालय की 2 , मणिपुर की 23 एवं असम की 11 भाषाओं में बाइबिल उपलब्ध है.
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि जन जन तक अपने विचारों को पहुंचाने के लिए सबसे अनिवार्य है कि उस विषय को पुस्तक का स्वरुप प्रदान किया जाए. इसी सोच के साथ लेखक संदीप ने जनजातीय समुदाय के प्रेरक व्यक्तित्वों का फीचर लेखन किया, जो कॉफी टेबल बुक के रुप में प्रकाशित हुआ है.
*पुस्तक का अंश*
*पहले मैडल पाने के लिए जीवन दांव पर लगाओ, फिर जीवन जीने के लिए मैडल दांव पर लगाओ, ऐसी व्यवस्था को बदलना जरूरी है* – पद्म विभूषण एम सी मैरी कॉम, मणिपुर
*कवि की कविता और धनुष का बाण, यदि दिल में ना उतरे, तो उसका उपयोग कैसा?* – पद्मश्री कवि दुला भाया काग, गुजरात
*कवि और चित्रकार में भेद है. कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है* – पद्मश्री जिव्या सोमा माशे, महाराष्ट्र
*स्टेज ही मेरे लिए मंदिर है और दर्शक ही मेरे भगवान हैं* – पद्मश्री गुलाबो सपेरा, राजस्थान
*नाच गाना आदिवासियों की संस्कृति का हिस्सा है, जब काम पर जाओ तो नगाड़ा लेकर जाओ और जब थकान हो जाए या काम से जी ऊबने लगे तो थोड़ी देर नगाड़ा बजाओ* – पद्मश्री डॉ आर डी मुंडा, झारखंड
पूरे देश में एकरूपता लाने हेतु केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी का मानकीकरण कर दिया गया है़. बकौल संदीप मुरारका इस कॉफी टेबल बुक का  लेखन आईएस 16500 : 2012 मानक के अनुसार किया गया है.
संदीप मुरारका
जनजातीय समुदाय के सकारात्मक पहलुओं पर लिखने वाले कलमकार
www.sandeepmurarka.com

105 जनजातीय व्यक्तित्व

राज्य : ओड़िशा
1. महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
2. श्री गिरीश चंद्र मुर्मू
3. पद्मश्री पूर्णमासी जानी
4. पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा
5. पद्मश्री दैतारी नायक
6. पद्मश्री कमला पुजारी
7. पद्मश्री इग्नेस तिर्की
8. पद्मश्री दिलीप तिर्की
9. पद्मश्री तुलसी मुंडा
10. स्व. माईकल किंडो
11. श्रीमती सुनीता लकड़ा

राज्य : झारखंड
12. लांस नायक स्व. अल्बर्ट एक्का
13. दिशोम गुरु श्री शिबू सोरेन
14. श्री अर्जुन मुंडा
15. पद्म भूषण कड़िया मुंडा
16. पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा
17. पद्मश्री जमुना टुडू
18. पद्मश्री सिमोन उरांव
19. पद्मश्री स्व. डॉ. आर. डी. मुंडा
20. श्री हेमंत सोरेन
21. श्री राजीव टोपनो
22. श्री अमृत लुगुन
23. प्रो. सोना झरिया मिंज
24. सुश्री सुमराय टेटे
25. सुश्री सलीमा टेटे
26. सुश्री बिनीता सोरेन 
27. सुश्री कंचन उगूरसैंडी
28. सुश्री चामी मुर्मू

राज्य : बिहार
29. श्रीमती एंजलिना तिग्गा
30. पद्मश्री चित्तू टुडू
31. पद्मश्री भागवत मुर्मू ‘ ठाकुर’
32. पद्मश्री रेव जोएल लकड़ा

राज्य : पश्चिम बंगाल
33. पद्मश्री कालीपद सरेन
34. पद्मश्री गुरु मां कमली सोरेन
35. पद्मश्री गंभीर सिंह मुडा
राज्य : छत्तीसगढ़
36. पद्म विभूषण डॉ. तीजन बाई

राज्य : मध्यप्रदेश
37. सुश्री अनुसुईया उइके
38. पद्मश्री भूरी बाई
39. पद्मश्री भज्जू श्याम

राज्य : राजस्थान
40. पद्मश्री गुलाबो सपेरा
41. पद्मश्री लिम्बाराम अहरी

राज्य : महाराष्ट्र
42. पद्मश्री राहीबाई सोमा पोपेरे
43. पद्मश्री जिव्या सोमा माशे

राज्य : गुजरात
44. श्री मंगूभाई छगनभाई  पटेल
45. पद्मश्री दादूदान गढ़वी
46. पद्मश्री भीखुदान गोविंद भाई गढ़वी
47. पद्मश्री दिवालीबेन पुंजभाई भील
48. पद्मश्री कवि दुला भाया काग
राज्य : केरल
49. पद्मश्री लक्ष्मीकुट्टी

राज्य : मेघालय
50. कैप्टन कैशिंग क्लिफफोर्ड नोंग्रुम
51. पद्मविभूषण स्व. पी. ए. संगमा
52. पद्मश्री ट्रिनिटी साइओ
53. पद्मश्री नील हर्बर्ट नोंगकिंरिह
54. पद्मश्री स्व. स्केनड्रोवेल सियमलियेह
55. पद्मश्री सिल्वरिने स्वेर
56. श्री जेम्स माइकल लिंग्दोह

राज्य : त्रिपुरा
57. पद्मश्री माइत्या (सत्यराम) रेयांग
58. पद्मश्री स्व. बेनीचंद्र जमाटिया
59. पद्मश्री थांगा डारलोंग

राज्य : मणिपुर
60. पद्म विभूषण एम सी मैरी कॉम
61. पद्मश्री गुरु रेवबेन माशंग्वा
62. पद्मश्री मेजर रालेंग्नाओ खातिंग
63. श्री आर्मस्ट्रांग पॉमे, भाप्रसे
राज्य : नागालैंड
64. श्री एच के सेमा
65. सुश्री एन. एन. हरालु
66. पद्म भूषण डॉ. एस सी जमीर
67. पद्म भूषण रानी गाईदिन्ल्यू
68. पद्मश्री टी सेनका आओ
69. पद्मश्री लेंटिना आओ ठक्कर
70. पद्मश्री मेलहुप्रा वेरो
71. पद्मश्री पियोंग टेमजेन जमीर
72. पद्मश्री तोखेहो एच. सेमा
73. पद्मश्री नीदोनुओ अंगामी
74. पद्मश्री मयंगनॉक्चा आओ
75. पद्मश्री चुबलेमला आओ
76. पद्मश्री रेव एल किजुंगलुबा आओ

राज्य : कर्नाटक
77. पद्मश्री अमाई महालिंग नाइक
78. पद्मश्री तुलसी गौड़ा
79. पद्मश्री डॉ. डोड्डारंगे गौड़ा
80. पद्मश्री सुकरी बोंमागौड़ा
81. पद्मश्री विकास शिवे गौड़ा

राज्य : असम
82. श्री हरि शंकर ब्रह्मा
83. पद्मश्री डॉ. (प्रो.) मंगल सिंह हजोवारी
84. पद्मश्री डॉ. बीरुबाला राभा
85. पद्मश्री डॉ. कामेश्वर ब्रह्मा
86. पद्मश्री जादव पायेंग
87. पद्मश्री प्रो. तेमसुला आओ
88. पद्मश्री मदराम ब्रह्मा

राज्य : अरुणाचल प्रदेश 
89. पद्मश्री डॉ. अंशु जामसेनपा
90. पद्मश्री येशे दोरजी थोंगछी
91. पद्मश्री बिन्नी यांगा
92. पद्मश्री डॉ. ममंग दई

राज्य : सिक्किम
93. पद्मश्री खांडू वांगचुक भूटिया
94. पद्मश्री हिलदामित लेपचा
95. पद्मश्री नोर्देन शेरिंग भूटिया
96. पद्मश्री किपू शेरिंग लेपचा
97. पद्मश्री बाइचुंग भूटिया
98. पद्मश्री रेन सोनम शेरिंग लेपचा
राज्य : अंडमान निकोबार
99. पद्मश्री शान्ति टेरेसा लकड़ा

राज्य : मिजोरम
100. श्री टी. जोरमथांगा

राज्य : तेलंगाना
101. पद्मश्री साकीनी रामचंद्रैया
102. पद्मश्री कनक राजू
103. सुश्री अजमेरा बॉबी

राज्य : जम्मू एवं कश्मीर
104. पद्मश्री मोहम्मद दीन जागीर

राज्य : नई दिल्ली
105. श्रीमती पडाला भूदेवी