स्थायी विपक्ष
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“राग-दरबारी” मैं नहीं जानता
और न ही कभी गाता हूँ।
इसीलिए किसी भी शासक को
कभी नहीं भाता हूँ।
हाँ! प्यारे भाइयों और बहनों,
मैं हमेशा फूलों के पक्ष में हूँ।
इसका मतलब ये कत्तई नहीं कि
मैं डालियों, पत्तों के विपक्ष में हूँ।
सामाजिक पक्षधरता,
एक जीवंत कलमकार की मजबूरी है।
इसीलिए सत्ता पक्ष से सदा,
उनकी बनी रहती दूरी है।
मैं सभी युधिष्ठिरों के सामने
अपना जिन्दा सवाल रखूंगा,
क्योंकि मैं युगों युगों का यक्ष हूँ।
बेहतर समाज निर्माण के लिए,
हर काल खण्ड में सुमन,
हर सत्ता के सामने, मैं स्थायी विपक्ष।
श्यामल सुमन
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