कैसे बिटिया लाज बचाए?
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हम बैठे हैं आँख बिछाए, आओ माँ
महिषासुर भी घात लगाए, आओ माँ
युग बदला तो बदले आज मुखौटे भी
रक्तबीज है खुद को छुपाए, आओ माँ
धुम्रलोचनों के दिन अब ऐसे बदले
घर घर जन को रोज सताए, आओ माँ
मधुकैटभ नेतृत्व करे हैं भीड़ों की
हत्यारा ही न्याय सिखाए, आओ माँ
टोल, गाँव में शुम्भ, निशुम्भों की टोली
कैसे बिटिया लाज बचाए, आओ माँ
चण्ड-मुण्ड को डर से कहे फ़रिश्ते सब
कितनी पीड़ा, कही न जाए, आओ माँ
अभी जरूरत अपना चमन बचा ले तू
स्वागत में हम सुमन सजाए, आओ माँ
श्यामल सुमन
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