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जुलाई में हुई सामान्य से कम बारिश, किसानों को सुखाड़ की चिंता

सरायकेला:झारखण्ड वाणी संवाददाता:इस साल जुलाई का महीना सूखाग्रस्त दिख रहा है. आधा जुलाई बीत चुका है, लेकिन खेतों में पानी के अभाव में धान के पौधे झुलस रहे हैं. जून महीने में जहां इंद्र देव की कृपा से बरसात ने रिकॉर्ड दर्ज किया है. वहीं, जुलाई महीने का आधा समय निकल जाने के बाद भी सामान्य दर्जे की बारिश नहीं हो सकी है, जिससे किसानों को पिछले साल की तरह इस साल भी सुखाड़ की चिंता सता रही है.सरायकेला: खरसावां में इस साल जुलाई महीने में फिर सूखे के आसार बनते जा रहे हैं. करीब आधा जुलाई बीत चुका है, लेकिन खेतों में पानी के अभाव में धान के पौधे झुलस रहे हैं. ऐसे में सूखे की आशंका को लेकर जिले के किसान चिंतित नजर आ रहे हैं.
जून महीने में जहां इंद्र देव की कृपा से बरसात ने रिकॉर्ड दर्ज किया है. वहीं, जुलाई महीने का आधा समय निकल जाने के बाद भी सामान्य दर्जे की बारिश नहीं हो सकी है. ऐसे में खेतों में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से सुखाड़ की परिस्थितियां बन रही है. जिले के अधिकांश खेत पठार और ऊपरी सतह वाले स्थान पर है, जहां सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण बारिश के पानी पर ही किसानों को निर्भर रहना पड़ता है. पिछले साल सूखे की मार झेल चुके किसानों को इस बार भी सुखाड़ की चिंता सता रही है, लेकिन इस साल भी मॉनसून किसानों का साथ देता नहीं दिख रहा है.
जुलाई में सामान्य बारिश 284.9 मिलीमीटर है, जबकि 16 दिनों में महज 74.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. यह सामान्य से आधा भी नहीं है. किसानों का कहना है कि यही स्थिति रही तो रोपनी का कार्य भी पूरा नहीं हो पाएगा. जिले के करीब 70% से अधिक किसान छींटा विधि से धान की खेती करते हैं. इस विधि से खेती करने वाले किसान जुलाई में कटान और निकाई का कार्य कर लेते हैं, लेकिन इस साल पानी के अभाव में यह कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है. सिर्फ उपरी जमीन पर किसान धान रोपनी का कार्य कर रहे हैं. ऊपरी जमीन पर धान का बीज तैयार रहने के बावजूद कढ़ान का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. सरायकेला में अभी तक 100.6 मिमी, खरसावां में 57.6 मिमी, कुचाई में 72.2 मिमी, गम्हरिया में 34.8 मिमी, राजनगर में 45.4 मिमी, चांडिल में 79.0 मिमी, नीमडीह में 79.2 मिमी, ईचागढ़ में 104.6 मिमी और कुकडू में 94.8 मिमी बारिश ही हुई है. किसानों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि जुलाई के अंत महीने तक अगर बरसात ने रफ्तार नहीं पकड़ा, तो वह पूरी तरह सुखाड़ के चपेट में होंगे और फसल बर्बाद हो जाएगा. इधर, जिला कृषि विभाग की ओर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक 24 से 27% तक धान रोपनी का कार्य पूरा हो चुका है. विभाग के अनुसार बारिश अगर अगले एक सप्ताह में ठीक ठाक हुई तो लक्ष्य के अनुरूप धान की रोपनी होगी और फसल भी बेहतरीन होगा. कुल मिलाकर अगले 15 दिनों में बारिश के चाल पर यह निर्भर करेगा कि जिले में धान की अच्छी पैदावार होगी या इस साल भी किसानों को सुखाड़ का मुंह देखना पड़ेगा.