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जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अवगत कराया

जमशेदपुर- जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अवगत कराया

प्रिय हेमंत जी,

आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि दिनांक 04.08.2022 को अधोहस्ताक्षरी ने विधानसभा में इस वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक नामित किये गए बगोदर विधायक विनोद सिंह गोमिया विधायक डाॅ. लम्बोदर महतो और बरकट्ठा विधायक सरकार अमित कुमार ने आपको एक पत्र संयुक्त रूप से भेजा था, जिसमें आपकी सरकार के स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरण एवं पदस्थापन के मामले में नीतिगत विसंगतियों का उल्लेख था। पत्र की प्रति संलग्न है। पत्र में एक खास विसंगति की ओर हमने आपका ध्यान आकृष्ट किया था जिसमें जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में पदस्थापित एक महिला चिकित्सक का स्थानांतरण समयपूर्व गढ़वा जिला के भवनाथपुर में कर दिया गया है जबकि उनके पति का स्थानांतरण करीब दो वर्ष पूर्व पहले बोकारो जिला में और तत्पश्चात् पाकुड जिला के पाकुड़िया में कर दिया गया था।

आप भलीभाँति अवगत हैं कि स्थानांतरण-पदस्थापन के समय इस नीतिगत प्रावधान का ध्यान रखा जाता है कि ‘पति-पत्नी को या तो एक स्थान पर अथवा यथासंभव समीपस्थ स्थान पर पदस्थापित किया जाय’। दो वर्ष पूर्व डॉ॰ मृत्युंजय का स्थानांतरण एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर से पहले बोकारो और फिर पाकुड जिला में करते समय भी इसका ध्यान नहीं रखा गया कि उनकी धर्मपत्नी डॉ॰ रीना सिंह एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर में पदस्थापित हैं। इस बार स्वास्थ्य विभाग ने स्थानांतरण-पदस्थापन करने के लिये नीति विज्ञापित किया कि ‘‘जो चिकित्सक नौ वर्ष या उससे अधिक समय तक एक ही स्थान पर पदस्थापित हैं उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा परंतु डॉ॰ रीना सिंह की पदस्थापन अवधि उस समय जमशेदपुर में मात्र आठ वर्ष ही पूरा हुई थी परंतु उन्हें स्थानांतरित कर गढवा जिला के भवनाथपुर भेज दिया गया। दूसरी ओर ऐसे अनेक चिकित्सक हैं जो नौ वर्ष से काफी अधिक समय तक एक ही जगह पर पदस्थापित हैं पर उन्हें नहीं बदला गया। स्थानांतरण-पदस्थापन में ऐसी नीतिगत विसंगति का कारण क्या हो सकता है इसकी आम चर्चा स्वास्थ्य विभाग में है। संभवतः यह चर्चा आप तक भी अवश्य पहुँची होगी।

मुख्यमंत्री जी स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि यह राज्य सरकार का अंग नहीं है। कार्यपालिका नियमावली की वर्जनाओं का इस पर कोई असर नहीं है। यह अनियंत्रित हो गया है। सरकार का यह विभाग नियमों-परिनियमों को ताक पर रखकर मनमाना आचरण कर रहा है। प्रासंगिक विषय में नीति और नियम का उल्लंघन तो हुआ ही है, मुख्य सचिव तक के निर्देश भी कारगर नहीं हुए हैं। संबंधित संचिका को विभागीय मंत्री के निर्देशानुसार विभाग में दबाकर रख लेना, संचिका मुख्यमंत्री तक नहीं पहुँचने देना, मुख्य सचिव के प्रासंगिक निर्देश को दरकिनार कर देना जैसी प्रवृति स्वास्थ्य विभाग में उभर कर सामने आई है जो संसदीय कार्यपद्धति और सामूहिक जिम्मेदारी के मान्य सिद्धांत के सर्वथा प्रतिकुल है। इससे सरकार, खासकर, मुख्यमंत्री की साख पर सवाल खड़ा हो रहा है।

आपके ध्यान में लाना चाह रहा हूँ कि विधानसभा के गत शीतकालीन सत्र में मैं और  विधानसभा सदस्य  विनोद सिंह इस विषय में आपसे मिले थे। फिर मैंने अकेले में भी इस विषय पर आपसे बात किया। बाद में विनोद सिंह को भी आपने आश्वस्त किया कि आप इस बारे में अपर मुख्य (विभागीय) सचिव को आवश्यक निर्देश देंगे। परंतु अब तक स्थिति यथावत है।

प्रासंगिक विषय में मेरा नम्र निवेदन है कि:-
1. आप कृपया निर्णय करें कि क्या हम तीन विधायकों ने जो विषय आपके सामने रखा है वह जायज नहीं है ?
2. क्या स्वास्थ्य विभाग ने स्थानांतरण-पदस्थापन में घोषित विभागीय नीति और मान्य नियम का उल्लंघन नहीं किया है ?
3. क्या स्थानांतरण-पदस्थापन की स्वास्थ्य विभाग की यह परिपाटी विभाग में भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित नहीं कर रही है ?
4. क्या स्वास्थ्य विभाग सरकार के अधीन एक विभाग नहीं है ?
5. क्या स्वास्थ्य विभाग कार्यपालिका नियमावली के अनुसार और सामूहिक
उत्तरदायित्व के अनुरूप नहीं चलेगा ?
6. क्या स्वास्थ्य विभाग में नियम-परम्परा को धत्ता बताते हुए मंत्री की मनमानी
चलेगी और मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के आदेश/निर्देश का अनुपालन नहीं होगा ?

महोदय, उपर्युक्त सवालों के साये में अपनी भावना व्यक्त करना चाहूँगा कि जो चिकित्सक विभागीय मंत्री के समक्ष साष्टांग नहीं होंगे, जो अपनी जमीर को गिरवी नहीं रखेंगे, जो उन्हें उपकृत नहीं करेंगे, जो उनके मनमानेपन के सामने नतमस्तक नहीं होंगे, वे प्रताड़ित होंगे। चिकित्सक हों या असैनिक शल्य चिकित्सक हों उन्हें महीना दो महीना के भीतर अपना बोरिया-बिस्तर बांधने के लिए मजबूर करना कहाँ तक आपकी सरकार के एक विभाग में उचित है ? इसका फैसला हम आप पर छोड़ते हैं
अभी हम प्रासंगिक विषय में हो रहे अन्याय को दूर करने के लिए आपसे विनम्र निवेदन करने और स्वास्थ्य विभाग की निरंकुशता और मनमानेपन पर लगाम लगाने की गुहार आपसे करने तक ही सीमित रहना चाहते हैं। स्वास्थ्य विभाग का निकम्मापन, भ्रष्टाचार और जनविरोधी गतिविधियों से भी हम यथाशीघ्र आपको अवगत करायेंगे।

उम्मीद है कि प्रासंगिक विषय में एक चिकित्सक दंपति के साथ हो रहे अन्याय का आप शीघ्रातिशीघ्र निवारण करेंगे।

सधन्यवाद,
भवदीय
ह0/-
(सरयू राय)
सेवा में,
श्री हेमंत सोरेन,
माननीय मुख्यमंत्री
झारखंड सरकार।

प्रतिलिपि: माननीय विधायक, विनोद कुमार सिंह/माननीय विधायक, अमित कुमार यादव/
माननीय विधायक, डाॅ. लंबोदर महतो/मुख्य सचिव, झारखण्ड सरकार को
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रेषित।