झारखण्ड वाणी

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झारखंड में जब से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी है तब से झारखण्ड का बहुसंख्यक समाज खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहा है

रांची : झारखंड में जब से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी है तब से झारखण्ड का बहुसंख्यक समाज खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहा है।जब जेहादी उपद्रवियों पर नरमी और इन्हें रोकने वालों पर कार्रवाई होगी तो तालिबानी मानसिकता रखने वाले लोगों का मनोबल बढ़ेगा ही। अब तो इनकी हिम्मत इतनी हो गई है कि राजधानी की मुख्य सड़क पर स्थित हनुमान जी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी। यह हर दिन सरकार को ललकार रहे हैं और तुष्टिकरण और वोट बैंक से पीड़ित हेमंत सरकार मुकदर्शक बनी हुई है। इस घटना की कड़ी निंदा झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया है हेमंत सरकार ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करे, नहीं तो हिंदू समाज सड़क पर उतर गया तो झारखंड का राजनीतिक और भौगालिक नक्शा ही बदल देगा

रांची: राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त पीएफआई और सहयोगी संगठनों पर भारत सरकार द्वारा पांच वर्ष का प्रतिबंध लगाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह का हार्दिक अभिवादन किया है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध रही है। झारखंड के संथालपरगना में रघुवर दास के शासनकाल में पीएफआई की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां को देखते हुए रघुवर दास की सरकार ने 2018 में उस पर प्रतिबंध लगाया
खुफिया विभाग से मिली सूचनाओं के अनुसार पीएफआई का आतंकी संगठनों से सांठगांठ रही है।राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इनकी संलिप्तता पाई गई थी। झारखंड में सबसे पहले संथाल क्षेत्र में पीएफआई ने अपने पैर जमाने का प्रयास किया। पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा जिले में संगठन ने अपने हजारों सदस्य बनाए। संगठन के सदस्य खुलेआम देश विरोधी बातें करते रहते थे। एक समुदाय विशेष के युवाओं को संगठित कर उन्हें देश और विशेष लोगों के खिलाफ कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा रहा था। इस संगठन से विधि व्यवस्था और लोक शांति भंग होने और सांप्रदायिक विद्वेष और कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया जा रहा था। इससे विधि-व्यवस्था संभालने में परेशानी होने के साथ-साथ लोक शांति के लिए संकट उत्पन्न हो गया था। कुछ तकनीकी खामियों के कारण हाईकोर्ट ने इस प्रतिबंध को निरस्त कर दिया। फिर रघुवर दास की सरकार ने इसकी समीक्षा कर और उन तकनीकी खामियों को दूर कर 2019 में फिर से पीएफआई पर बैन लगाया जिसके बाद से झारखंड में पीएफआई बैन है रघुवर सरकार के शासनकाल में पीएफआई समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई हुई लेकिन जब से राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार आई है पीएफआई के प्रति सरकार के ढीले रवैए या कहें मौन समर्थन से पीएफआई संथाल परगना से मजबूत होकर अब प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी तेजी से पैर पसार रहा है। अभी हाल ही में खुफिया विभाग की सूचना के अनुसार पंचायत चुनाव में पीएफआई समर्थित कई उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं। अब पीएफआई पर देशव्यापी प्रतिबंध से उम्मीद जगी है कि झारखंड में भी उनकी गतिविधियां अब थम जाएंगी। श्री दास ने पुनः भारत सरकार को इस साहसिक निर्णय के लिए साधुवाद दिया और आभार व्यक्त किया है