संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक पद के लिए राज्य सरकार के भेजे गए पैनल को मानने से इंकार कर दिया है. आयोग ने साफ कहा है कि इस संबंध में सरकार सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का पालन करे.
रांचीः राज्य में नियमित डीजीपी की नियुक्ति का मामला एक फिर फंस गया है. यूपीएससी ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल भेजने से इंकार कर दिया है. यूपीएससी ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेज दिया है. यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा डीजीपी रहे केएन चौबे को दो साल के पहले हटाने के मामले में भेजे गए जवाब पर संतुष्टि नहीं जताई है. यूपीएससी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएं
डीजीपी के पद पर प्रभारी के तौर पर अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकते. यूपीएससी ने इस बारे में राज्य सरकार के द्वारा प्रभारी डीजीपी बनाने के फैसले पर आपत्ति जतायी है. गौरतलब है कि यूपीएससी को राज्य सरकार ने पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल भेजा था.
यूपीएससी ने पहली बार केएन चौबे को हटाने की वजह पूछते हुए पैनल को वापस भेजा था. प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने संबंधी याचिका खारिज हुई थी. इससे पहले झारखंड के प्रभारी डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष प्रह्लाद नारायण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने जनहित याचिका को मेंटेनेबल नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था. कोर्ट ने पूरे मामले को सर्विस मैटर से जुड़ा माना था.
डीजीपी ने 6 अगस्त को भी यूपीएससी ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल को वापस कर दिया था. उस समय यूपीएससी ने केएन चौबे को डीजीपी पद से हटाए जाने पर राज्य सरकार से कुछ सवाल पूछे थे. राज्य सरकार ने सवालों का जवाब देते हुए यूपीएससी को पत्र भी भेजा था.
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