यहां दुल्हा बनने के लिए करना पड़ता है इंतजार सरकार है इसका जिम्मेदार
दुमका झारखंड की उपराजधानी है. लेकिन यहां के गांव की हालत देख कोई नहीं कहेगा कि यह उपराजधानी का हिस्सा है. एक गांव तो ऐसा है जहां के लोगों की शादी बहुत ही मुश्किल से हो पाती है.
दुमकाः झारखंड सरकार विकास योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लाख दावे करे पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. यह विकास कहां छुपा है समझ में नहीं आता. हम बात करते हैं झारखंड की उपराजधानी दुमका के जामा प्रखंड के लकड़जोरिया गांव की. यहां विकास की बात करना भी बेमानी होगी. यहां न सड़क है न लोगों को सरकारी आवास की सुविधा मिली और न ही समुचित पानी की व्यवस्था यहां उपलब्ध है. यह पूरा गांव आदिवासी बहुल है. इस गांव के चार टोलों में लगभग 200 परिवार निवास करते हैं. आबादी लगभग 1200 है.
यह लकड़जोरिया गांव कोई आम गांव नहीं है. यह गांव जामा विधानसभा का एरिया है. जहां की विधायक झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन हैं. जो लगातार तीन बार से यहां से चुनाव जीतती आ रही हैं. अगर हम इतिहास की ओर जाएं तो यहीं से शिबू सोरेन के पुत्र दुर्गा सोरेन ने दो बार चुनाव जीता था. सबसे बड़ी बात यह है कि शिबू सोरेन भी यहां से विधायक रह चुके हैं. अगर हम दूसरे दल की बात करें तो वर्तमान में दुमका लोकसभा के जो सांसद सुनील सोरेन हैं वे जामा प्रखंड के ही रहने वाले हैं. साथ ही वे यहां से भी एमएलए रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इस क्षेत्र से बड़े-बड़े नाम वाले जनप्रतिनिधि रह चुके हैं. लेकिन किसी ने इस लकड़जोरिया गांव की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. साथ ही सरकार के अधिकारी भी यहां नहीं पहुंचे
लकड़जोरिया गांव पहुंचने का जो रास्ता है उसमें सड़क आज तक बनी ही नहीं. कहीं 2 फीट तो कहीं 3 फीट की कच्ची सड़क है. उसमें भी गड्ढे हैं, पत्थर हैं. गांव के अंदर के रास्ते पर ही नाला नजर आता है. बत्तख उसमें अटखेलियां करते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में दूसरे वाहन की बात छोड़िए ट्रैक्टर तक नहीं आ पाता. समस्या उस वक्त होती है जब कोई बीमार पड़ता है और सड़क नहीं रहने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाता. जो बीमार होते हैं उसे खटिया पर टांग कर ले जाना पड़ता है.
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