व्यर्थ कभी मुस्कान नहीं है
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कल क्या हो अनुमान नहीं है?
हँस कर जी नुकसान नहीं है।।
हम कारण सारे सुख दुख के।
क्या इसका भी ध्यान नहीं है??
हम ही चुनते अपने शासक।
कुदरत का भी मान नहीं है।।
हमसे दुनिया, दुनिया से हम।
नूतन यह विज्ञान नहीं है।।
समरसता लाने में परखो।
कहाँ, कहाँ ईमान नहीं है??
सब जाने है अपनी गलती।
कोई भी अनजान नहीं है।।
खुद को खुद से सुमन सम्भालो।
व्यर्थ कभी मुस्कान नहीं है।।
श्यामल सुमन
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