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‘वोकल फॉर लोकल’ तभी सफल जब स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ हम उसके उपयोग पर गर्व करें

रांची: पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची तथा फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला केे संयुक्त तत्वावधान में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत: वोकल फॉर लोकल से सांस्कृतिक धागे की मजबूती’ विषय पर आज वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में शिक्षा, उद्योग एवं समाजसेवा क्षेत्र से जुुुुड़े प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञोंं का कहना था कि वोकल फॉर लोकल के जरिए हमें स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ साथ उसके उपयोग पर गर्व करना होगा तभी यह सफल साबित होगा।
वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची अरिमर्दन सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है । देश की विविधता ही देश की शक्ति है जो “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के सपने को साकार करती है। आवश्यकता इस बात की है हम वोकल फॉर लोकल अपनाएं और देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाएं।
साहित्यकार तथा रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष गिरिधारी राम गोंझू ने कहा कि आदिवासी रहन-सहन का तरीका और आदिवासी संस्कृति प्राकृतिक तौर पर हमें आत्मनिर्भर बनना सिखाती है। उन्होंने आदिवासी गांव तथा बाजारों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार गांव बसने से पहले खेत की व्यवस्था की जाती है, फिर ऊंचे स्थान पर गांव बनाया जाता है और गांव में हर तरह के हुनर के लोगों को ‘दोना और कोना’ अर्थात खाना और रहने का ठिकाना उपलब्ध कराया जाता है ताकि गांव पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर रहे और बहुत ही विषम परिस्थितियों में ही गांव के लोगों को दूसरी जगह या दूसरे लोगों से मदद लेनी पड़े। आज संस्कृति ‘उपयोग करो और फेंको’ की हो गई है, लेकिन आदिवासी संस्कृति टिकाऊ संस्कृति है जहां ऐसे साधनों का प्रयोग किया जाता है जो टिकाऊ हो और उपयोग के बाद भी उनका दूसरे रूप में उपयोग किया जा सके। आज विज्ञापन के द्वारा 1 रुपए के सामान को 100 रुपए में बेच दिया जाता है। इसके स्थान पर हमें लोकल प्रोडक्ट्स को आगे बढ़ाना है और यह प्रयास करना है कि हमें उनका उपयोग करने में गर्व महसूस हो।
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने कोरोना की शक्ल में एक बहुत बड़ी महामारी देखी है जिसमें हमारी अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान पहुंचा। प्रधानमंत्री का लगातार यह आह्वान है कि वोकल फॉर लोकल को अपनाया जाए जो हमारी अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूती से आगे बढ़ाने में मददगार हो सकता है। श्री अजमानी ने आगे कहा कि चीन ने अपनी बड़ी आबादी को वरदान के रूप में उपयोग किया। आज हमारे देश को जरूरत इस बात की है कि हम भी अपनी बड़ी आबादी को वरदान के रूप में उपयोग में लाएं और उन्हें हुनर सिखाएं। जरूरत की अधिकतर वस्तुओं का स्थानीय स्तर पर ही उत्पादन हो और लोग उसे सहर्ष उपयोग में लाएं, तभी एक भारत श्रेष्ठ भारत बन सकता है।
स्वयं सेवी संस्था माटी घर के संस्थापक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर हम वोकल फॉर लोकल के मंत्र को अपनाते हैं तो उससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में सहायता मिलती है, बेरोजगारी दूर होती है और पलायन रुकता है। प्रकृतिक तौर पर भी यह अच्छा होता है कि व्यक्ति अपने घर और परिवार के निकट ही रहे। अगर स्थानीय स्तर पर कारोबार और उद्योगों का सृजन होता है तो लोगों को अपने स्थान पर ही रहकर रोजगार पाने का बेहतरीन मौका मिल जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने लोकल संसाधनों पर गर्व करना और उसे प्रचारित और प्रसारित करने का भी हुनर जानना होगा। प्रधानमंत्री के हजारीबाग दौरे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सोहराई पेंटिंग से देश के अधिकतर लोग अनभिज्ञ थे लेकिन जब प्रधानमंत्री ने इसे अपने भाषण में उद्धृत किया तो लोगों ने इसे ज्यादा और आज पूरे देश में इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है। उन्होंने यह भी कहा की स्थानीय उत्पादों को खरीदने में और प्रमोट करने में सरकार तथा सरकारी मशीनरियों को भी बढ़-चढ़कर भाग लेना होगा। स्थानीय लोगों को इसके हुनर की ट्रेनिंग देनी होगी तभी लोकल फॉर वोकल का मंत्र सफल हो सकता है।
समाज सेवी संस्था ग्राम एसोसिएशन के सह संस्थापक मंगेश झा ने कहा कि वोकल फॉर लोकल का मंत्र झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड के रासबेडा़ गांव में वे लोग लोकल पद्धति अपनाकर गांव वासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध करा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पलायन के कष्ट से बचाता है। मंगेश इस बात के लिए भी बहुत अधिक प्रयास कर रहे हैं कि सेनेटरी नैपकीन की जगह पर महिलाएं बायोडिग्रेडेबल पैड का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि मौजूदा पैड में प्लास्टिक होता है जो सालाना 12 लाख मैट्रिक टन कचरे में बदल जाता है और पर्यावरण को हानि पहुंचाता है। इसलिए आवश्यकता है कि वोकल फॉर लोकल को अपनाया जाए और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जाए।
इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी महविश रहमान ने किया। वहीं तकनीकी सहायता तथा समन्वय सहयोग क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान और ओंकार नाथ पाण्डेय द्वारा‌ क्रमशः दिया गया।
वेबिनार में जनसंचार संस्थानों के विद्यार्थियों के अलावा पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।