झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

वो सलाम चाहता है

वो सलाम चाहता है
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बिन काम किए कुछ जो बस नाम चाहता है
गाए जा गीत उनके जो निजाम चाहता है

दीवार खड़ी करके जिसने बढ़ायी दूरी
बदले में आज हमसे वो सलाम चाहता है

हालात ऐसे बिगड़े रोटी नहीं मयस्सर
समझा रहे क्यों सबको ये राम चाहता है

सदियों का भाईचारा अपनी यही विरासत
इस भाईचारगी का नीलाम चाहता है

हंसकर भले या रो कर जगना तुझे पड़ेगा
करना सुमन वही जो आवाम चाहता है

श्यामल सुमन