जमशेदपुर। आज सर्वोच्च न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के कतिपय न्यायाधीशों द्वारा चलाये जा रहे अवमानना की न्यायायिक प्रक्रिया की नियत पर सवाल उठाते हुए उपायुक्त कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें जमशेदपुर के प्रबुद्ध नागरिक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन, लोक स्वातन्त्र संगठन के सदस्य शामिल रहे।
विरोध प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अवमानना का कानून एक औपनिवेशिक बेरहम कानून है और संविधान विरोधी है। अवमानना का कानून इंग्लैंड का कानून है जिसका अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर २०१२ में अंग्रेज भी उन्मूलन कर चुके हैं जबकि भारत में इसे बदनीयत से लागू रखा गया है जैसे यूएपीए और राज – द्रोह जैसे कानूनों को लागू रखा गया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वैसे भी अवमानना का कानून न्याय की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की स्थिति में ही आह्वान (invoke) किया जा सकता है जबकि प्रशांत भूषण का ट्वीट कतिपय जजों के आचरण के खिलाफ हैं। प्रदर्शनकारियों ने आगे कहा कि अवमानना कानून और उसकी प्रक्रिया दोनों ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जो भारत में संविधान प्रदत्त बुनियादी अधिकार है, उसका उल्लंघन है।
आज के प्रतिवाद कार्यक्रम में विनय कुमार, जगत, अमरेंद्र राय, मंथन, ओमप्रकाश, इकबाल अंसारी, मदन मोहन, राम दरस राय, विजेंद्र शर्मा, निशांत अखिलेश और अरविंद अंजुम आदि शामिल थे।
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